उन्नाव से बड़ा खुलासा | “26 साल साथ निभाया… पति के मरते ही जिन बच्चों को पाला, उन्होंने ही हमारी जमीन हड़प ली”—नेहा सिंह का आरोप
कम पढ़ी-लिखी महिला बोली: डेढ़ लाख वकील को दे चुकी, कर्ज़ में डूब गई… पर न्याय कहीं नहीं
उन्नाव | थाना हसनगंज | विशेष रिपोर्ट
उन्नाव के सैरपुर गांव से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां 26 साल तक पति के साथ जीवन बिताने वाली नेहा सिंह आज अपने ही घर–जमीन के लिए भटक रही हैं। पति अवधेश सिंह, जो ट्रक चलाते थे, उनके निधन को डेढ़ साल हो चुके हैं। लेकिन इन्हीं डेढ़ सालों में नेहा का पूरा जीवन उलट गया है—न जमीन बची, न पैसा, न ही सहारा।
नेहा का आरोप है कि जिन तीन भतीजों को उन्होंने और उनके पति ने अपने बच्चे समझकर पाला–पोसा, आज वही बच्चे उनकी और उनके दिवंगत पति की जमीन पर कब्जा कर बैठे हैं।
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मंदिर में हुई थी शादी, प्रधान ने भी प्रमाणित किया—फिर भी अधिकारों की अनदेखी
नेहा बताती हैं कि उनकी और अवधेश सिंह की शादी मंदिर में हुई थी।
गांव के प्रधान ने भी वैवाहिक संबंध का प्रमाण दिया है।
पारिवारिक रजिस्टर और आधार कार्ड में भी दोनों का पति-पत्नी के नाम दर्ज हैं।
इसके बावजूद, जमीन को लेकर नेहा के अधिकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
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जेठ माना सिंह के तीन बच्चों को पालने के लिए नेहा से कराई गई शादी
नेहा बताती हैं कि उनके जेठ माना सिंह की मौत के बाद उनके तीन छोटे बच्चे अनाथ हो गए थे।
अवधेश सिंह और नेहा ने ही उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला।
नेहा कहती हैं—
“बच्चे छोटे थे… हमने मां-बाप बनकर संभाला। कभी फर्क नहीं किया कि वे भतीजे हैं।
पर उन्हीं बच्चों ने हमारी जिंदगी तबाह कर दी।”
नेहा ये भी स्पष्ट करती हैं कि उन्होंने बच्चों को गोद नहीं लिया था—बस मानवता के नाते पाला था।
मृत जेठ की जमीन का पैसा भी बच्चे ले रहे थे—अब हमारी जमीन भी उनके नाम
नेहा का बड़ा आरोप है कि जेठ माना सिंह के नाम की जमीन से जो पैसा आता था, उसे उनके बच्चे ही रखते थे।
फिर धीरे-धीरे चालाकी से उन्होंने अवधेश सिंह की जमीन तेजा गांव में और कुछ जमीन सैरपुर के पास, दोनों अपने नाम करवा लीं।
नेहा के शब्दों में—
“हमें नहीं पता था कागज कैसे बनते हैं। हम कम पढ़े-लिखे लोग हैं।
उन्होंने भरोसे का फायदा उठाकर हमारी पूरी जमीन अपने नाम करा ली।”
सबसे चौंकाने वाली बात—अब चाचा को ‘पिता’ बताकर जमीन पर दावा
नेहा बताती हैं कि माना सिंह के बच्चे अब यह दावा कर रहे हैं कि अवधेश उनके ‘पिता’ थे, जबकि असलियत में वे उनके चाचा थे।
इस तरह वे परिवारिक भूमि पर उत्तराधिकार का हक जताने की कोशिश कर रहे हैं।
वकील पर गंभीर आरोप—डेढ़ लाख लुटवाकर अब बोल रहा: ‘विवादित जमीन है इसमें हम कुछ नहीं कर सकते
नेहा के मुताबिक जब विवादित जमीन है तो वह किसी के नाम कैसे हो सकती है मेरे जेठ के बच्चों ने पैसे देकर सब कुछ अपने नाम करवा लिया और हम पैसे देकर भी कम पढ़े-लिखे होने के कारण कुछ नहीं कर पाए
नेहा का तंज—
“अगर जमीन नाम नहीं हो सकती थी, तो पैसे क्यों लेते गए?
हम गरीब लोग कर्ज में डूब गए, फिर भी न्याय नहीं मिला।”
नेहा बताती हैं कि मुकदमे के चलते घर पर कर्ज भी हो गया है, और अब परिवार आर्थिक संकट में है।
हेल्पलाइन पर शिकायत… पर कार्रवाई का नाम नहीं, नेहा बोलीं—अब योगी-मोदी सरकार से उम्मीद
नेहा सिंह ने हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज करा दी है, मगर डेढ़ साल से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
नेहा का दर्द—
“हमने जिन बच्चों को सीने से लगाकर पाला, उन्होंने ही हमें लूट लिया।
अब बस सरकार से उम्मीद है कि हमारी जमीन वापस दिलाई जाए।
हम गरीब हैं, पढ़े-लिखे नहीं… कोई हमारी बात नहीं सुन रहा।”
नेहा कहती हैं कि अगर प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो वे पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगी।
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