भोपाल। सीआरपीएफ कैंप बंगरसिया, भोपाल में रहने वाली सरिता बाथरे ने चिकित्सा लापरवाही और मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता का कहना है कि 9 अप्रैल 2025 की रात वह सीआरपीएफ कैंप में तैनात डॉक्टर पल्लवी के पास इलाज के लिए गई थीं, जहां कथित रूप से पूरी योजना बनाकर उन्हें भोपाल स्थित AIIMS भोपाल रेफर कर दिया गया।
सरिता का आरोप है कि उनकी स्थिति सामान्य डिलीवरी की थी, इसके बावजूद उन्हें ऑपरेशन के लिए मजबूर किया गया। ऑपरेशन के बाद से वह लगातार शारीरिक दर्द, अंदरूनी चोट, जलन और गंभीर मानसिक तनाव से जूझ रही हैं। पीड़िता के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम ने उनके जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
पीड़िता ने बताया कि वह लंबे समय से गहरे अवसाद में हैं। कई बार आत्मघाती विचार आने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि उनकी 7 और 8 वर्ष की बेटियों ने उन्हें संभाला और जीवन से हार न मानने का साहस दिया। सरिता का कहना है कि ऑपरेशन के बाद से उनकी शारीरिक हालत लगातार बिगड़ती गई—नींद, भोजन और दैनिक जीवन पर इसका गहरा असर पड़ा है।
महिला ने आरोप लगाया कि इस मामले में पल्लवी, सुधीर, कविता और धर्मेंद्र की भूमिका संदिग्ध है और उनकी वजह से उन्हें मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्तर पर भारी क्षति उठानी पड़ी। पीड़िता ने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और सच्चाई सार्वजनिक की जाए।
सरिता बाथरे ने प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और मानवाधिकार संगठनों से अपील की है कि उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया जाए, मेडिकल रिकॉर्ड और वीडियो/दस्तावेजों की जांच कराई जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित परिवार की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
अस्पताल में महिला के साथ कथित चिकित्सा लापरवाही व मानसिक प्रताड़ना का आरोप
सीआरपीएफ डॉक्टर व एम्स भोपाल पर गंभीर आरोप, जांच व सख्त कार्रवाई की मांग
आरपी अस्पताल में रह रही सरिता नामक महिला ने चिकित्सा तंत्र से जुड़े कुछ डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता का कहना है कि उनके पति अस्पताल नहीं आ रहे थे और उनके स्वास्थ्य व देखभाल पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इसी दौरान डॉ. धर्मेंद्र और डॉ. पल्लवी को इस स्थिति की जानकारी थी, फिर भी कथित रूप से उनके ऑपरेशन की योजना बनाई गई।
पीड़िता के अनुसार, एक अन्य व्यक्ति सुधीर, कविता को भी पूरी स्थिति की जानकारी थी। सरिता का आरोप है कि वह पूरी तरह स्वस्थ थीं और सामान्य प्रसव संभव था, इसके बावजूद उन पर ऑपरेशन कराने का दबाव बनाया गया। उनका यह भी कहना है कि उनके बच्चे को लेकर झूठी बातें कही गईं और यह दावा किया गया कि बच्चे ने पोटी कर ली है, जबकि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था।
सरिता ने आरोप लगाया कि उन्हें जबरन नसबंदी व ऑपरेशन के लिए दबाव डाला गया और डराया गया। पीड़िता के मुताबिक, एक मौके पर उन्हें अकेला पाकर यह कहकर भयभीत किया गया कि बच्चे की किडनी में समस्या है। उनका दावा है कि इस पूरी प्रक्रिया से उन्हें गहरी मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
महिला ने आरोप लगाया कि मामले में सीआरपीएफ के डॉक्टरों तथा एम्स भोपाल से जुड़े चिकित्सकीय तंत्र की भूमिका संदिग्ध है। पीड़िता ने प्रशासन से मांग की है कि सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी पाए जाने वालों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।
पीड़िता ने यह भी कहा कि इस पूरे घटनाक्रम ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया है। उन्होंने न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि भविष्य में किसी अन्य महिला के साथ ऐसा न हो, इसके लिए कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
Note: (यह खबर पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों पर आधारित है। संबंधित पक्षों का पक्ष आना शेष है)
