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खगड़िया से सनसनीखेज मामला | सगे भाई और साढ़ू ने मिलकर उजाड़ दिया घर,

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खगड़िया | विशेष रिपोर्ट

बिहार के खगड़िया जिले के पसराहा थाना क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या-06, पसराक पोस्ट पसराहा से एक चौंकाने वाला और दर्दनाक मामला सामने आया है। पीड़ित संतोष कुमार सिंह ने मीडिया के माध्यम से बताया है कि उनके ही सगे छोटे भाई छोटू ने साजिश के तहत उनके घर को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में छोटू के बड़े साढ़ू उदित, पिता स्वर्गीय मोहन सिंह, की अहम भूमिका बताई जा रही है, जिन्होंने घर पर बैठकर यह पूरा घटनाक्रम करवाया।

संतोष कुमार के अनुसार, यह घटना करीब दो महीने पहले की है, जब वह रोज़गार के सिलसिले में बेंगलुरु में मौजूद थे। इसी दौरान बिहार स्थित उनके पैतृक घर पर छोटू ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। जब माता-पिता ने उसे रोकने की कोशिश की तो उनकी भी एक न सुनी गई। आरोप है कि घर में रखा सिलाई मशीन, एलसीडी टीवी, कपबोर्ड, कपड़े रखने की अलमारी और अन्य कीमती घरेलू सामान पूरी तरह तोड़ दिया गया। इस तोड़फोड़ से करीब दो से ढाई लाख रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।

पीड़ित का कहना है कि इस पारिवारिक विवाद को भड़काने में छोटू के साढ़ू उदित और ललित कुमार की भी बड़ी भूमिका रही। दोनों साढ़ुओं ने मिलकर छोटू को अपने ही बड़े भाई संतोष कुमार के खिलाफ भड़काया। बताया गया कि छोटू पहले बेंगलुरु में ही काम करता था और उसी ने संतोष कुमार को बेंगलुरु बुलाकर काम दिलवाया था, लेकिन साढ़ू उदित के बहकावे में आकर वह अपने ही सगे भाई का दुश्मन बन बैठा।

आरोप है कि मामला यहीं नहीं रुका। बेंगलुरु में भी उत्पीड़न की घटना सामने आई। उस समय संतोष कुमार की पत्नी निभा देवी आठ महीने की गर्भवती थीं और वहीं रह रही थीं। इसी दौरान lalit और उसकी पत्नी ने संतोष कुमार और निभा देवी से झगड़ा किया। जब निभा देवी ने घटना का वीडियो बनाना शुरू किया तो आरोपियों ने उनके हाथ से मोबाइल छीन लिया। छीना-झपटी के दौरान मोबाइल संतोष कुमार की करीब दो साल की बेटी के पैर पर गिर पड़ा, जिससे मासूम बच्ची को चोट आई।

संतोष कुमार सिंह वर्तमान में बेंगलुरु में एक गौशाला में काम करते हैं। उनके तीन बेटियां हैं और हाल ही में करीब एक महीने पहले एक बेटे का जन्म हुआ है। इसके बावजूद पीड़ित का कहना है कि आरोपी पक्ष लगातार झगड़ा, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकियां दे रहा है, जिससे पूरा परिवार दहशत के साए में जीने को मजबूर है।

पीड़ित ने प्रशासन से मांग की है कि घर में की गई तोड़फोड़, पारिवारिक साजिश और दो राज्यों में हुए उत्पीड़न की निष्पक्ष जांच कराई जाए तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। यह मामला न सिर्फ पारिवारिक रिश्तों में आई कड़वाहट को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि जब अत्याचार अपनों से हो, तो पीड़ित को न्याय के लिए कितना भटकना पड़ता है।

 

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