सड़क–नाली के लिए जंग: पटवा जी कॉलोनी के 60 लोग पहुंचे नगर पालिका, आश्वासन पर अटकी विकास की रफ्तार
नगर क्षेत्र की पटवा जी कॉलोनी और दुर्गा नगर में सड़क–नाली निर्माण को लेकर गहराता विवाद अब चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। कॉलोनीवासियों का आरोप है कि वर्षों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव में वे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं, जबकि नगर पालिका और जनप्रतिनिधियों के बीच जिम्मेदारी तय नहीं हो पा रही है।
बताया गया कि पटवा जी कॉलोनी के करीब 60 लोग एकजुट होकर नगर पालिका पहुंचे थे। वहां अधिकारियों द्वारा नियमों का हवाला देते हुए कहा गया कि पहले कॉलोनीवासी और संबंधित लोग अपने स्तर से सड़क और नाली का प्रारंभिक निर्माण कराएं, उसके बाद नगर पालिका उसे अपने अधिकार में लेकर स्थायी विकास करेगी। इस जवाब से लोग और अधिक असमंजस में पड़ गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके वार्ड की सबसे बड़ी समस्या सड़क है। बारिश निकल जाने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं। जगह-जगह कीचड़, गड्ढे और पानी भराव से आवागमन मुश्किल हो गया है। कॉलोनीवासियों ने कई बार लिखित में समस्या बताने और सामूहिक बैठक करने की बात कही, लेकिन ठोस नतीजा नहीं निकल सका।
विवाद उस समय और बढ़ गया जब दुर्गा नगर में एक सड़क के निर्माण को लेकर सवाल उठे। लोगों का कहना है कि जब वहां सड़क बन सकती है तो पटवा जी कॉलोनी में क्यों नहीं। इसे लेकर नगर पालिका की कार्यप्रणाली और दलालों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कॉलोनीवासियों का आरोप है कि टैक्स देने के बावजूद सड़क, नाली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। ऐसे में लोगों में यह चर्चा आम हो गई है कि अगर नगर पालिका विकास नहीं कर रही तो फिर टैक्स क्यों दिया जाए।
कुछ लोगों ने यह भी कहा कि फिलहाल बारिश नहीं है, इस समय मुरुम या केरचा डालना सस्ता और आसान है। कॉलोनीवासी अपने स्तर से 5–6 गाड़ियां मंगवा रहे हैं और नगर पालिका या जनप्रतिनिधियों से केवल 2–3 गाड़ियों के सहयोग की मांग की जा रही है, ताकि रास्ता चलने लायक बन सके। लेकिन इस मांग पर भी स्पष्ट जवाब नहीं मिल पा रहा।
वहीं वार्ड प्रतिनिधि और पार्षद पक्ष का कहना है कि वे लगातार नगर पालिका में सड़क–नाली के मुद्दे को उठा रहे हैं। विकास को लेकर यह कहना कि कोई सोच नहीं रहा, उचित नहीं है। उनका दावा है कि यदि लोगों को भरोसा नहीं है तो वे नगर पालिका के सीएमओ या इंजीनियर से जानकारी ले सकते हैं। हालांकि यह भी स्वीकार किया गया कि कई निर्णय उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।
फिलहाल स्थिति यह है कि कॉलोनीवासी उम्मीद, आश्वासन और इंतजार के बीच फंसे हुए हैं। सड़क का शिलान्यास कब होगा, विकास की गाड़ी कब चलेगी और दलालों की भूमिका पर कार्रवाई कब होगी—ये सवाल अब नगर में आम चर्चा का विषय बन चुके हैं।
