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पुश्तैनी खेत पर कब्जा, पिता की फरियाद अनसुनी: बोले— “मेरे बेटे नहीं, चार बेटियां हैं… पुलिस तक कहती है, लड़कियां कुछ नहीं कर सकतीं”

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रिपोर्ट: विशेष संवाददाता, बहराइच।

बहराइच जिले के अतरीती तहसील क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। एक गरीब, कम पढ़े-लिखे पिता अपनी पुश्तैनी जमीन और बेटियों की इज्जत दोनों बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। लेकिन न प्रशासन सुन रहा है, न पुलिस। आरोप है कि शिकायत करने पर पुलिसकर्मी तक कह देते हैं — “लड़कियां कुछ नहीं कर सकतीं, चुप रहो।”

पीड़ित पिता की कहानी किसी त्रासदी से कम नहीं। परिवार के पास करीब 3.5 बीघा पुश्तैनी खेत था। वर्ष 2020 में प्रतिवादी पक्ष ने जमीन खरीदने का प्रस्ताव 5 लाख 20 हजार रुपये में रखा, जिस पर सौदा तय हुआ। दिनांक 16 अगस्त 2020 को दोनों पक्ष तहसील अतरीती पहुंचे, रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज बने, बैनामा तैयार हुआ और हस्ताक्षर भी हो गए।

लेकिन पैसे का पूरा भुगतान नहीं किया गया। पीड़ित का कहना है कि “हमने सात लाख रुपये में सौदा किया था, लेकिन केवल दो लाख बीस हजार रुपये ही दिए गए। अब खेत भी चला गया और बाकी रकम भी नहीं मिली।”

सबसे बड़ी मार यह रही कि जब परिवार ने न्याय की गुहार लगाई, तो पुलिस और तहसील दोनों जगह कोई सुनवाई नहीं हुई। पिता ने बताया,

“मैं कम पढ़ा-लिखा हूँ, मेरा कोई बेटा नहीं, सिर्फ चार बेटियां हैं — दो की शादी हो चुकी है और दो अभी कुंवारी हैं। लेकिन पुलिसवाले कहते हैं — ‘लड़कियां क्या कर लेंगी, तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता।’ ये सुनकर दिल टूट गया।”

परिवार ने जमीन विवाद और बदसलूकी के खिलाफ कई बार आवेदन तहसील, थाना और जिलाधिकारी कार्यालय में दिया, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह परिवार वर्षों से खेत जोतता आया है, पर अब उसे अपनी ही पुश्तैनी जमीन से बेदखल कर दिया गया है। न्याय की उम्मीद में पिता आज भी रोज तहसील और थाने के चक्कर काटता है।

पीड़ित पिता की आंखों में आंसू हैं, पर उम्मीद बाकी है। वे कहते हैं—

“बस एक बार सुनवाई हो जाए, बेटियां मेरी ताकत हैं… अगर बेटा नहीं है तो क्या, मैं लड़ाई आखिरी सांस तक लड़ूंगा।”

यह मामला सिर्फ एक खेत का नहीं, बल्कि उस समाज के सोच का आईना है जहां बेटियों वाले गरीब की आवाज अब भी अनसुनी रह जाती है।

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