तिरुवनंतपुरम/नई दिल्ली:
केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। उन पर यमन के एक नागरिक की हत्या का आरोप है। इस मामले ने अब एक मानवीय मोड़ ले लिया है, क्योंकि भारत में रह रही उनकी 13 साल की बेटी और पति ने देशवासियों और सरकार से एक आखिरी अपील की है – “मां को बचा लीजिए।”
कौन हैं निमिषा प्रिया और क्या है पूरा मामला?
निमिषा एक प्रशिक्षित नर्स हैं, जो बेहतर आजीविका की तलाश में 2011 में यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक यमनी नागरिक खालिद के साथ मिलकर मेडिकल क्लिनिक खोला। लेकिन जल्द ही उनके रिश्ते तनावपूर्ण हो गए। आरोप है कि खालिद ने निमिषा को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए और उन्हें जबरन यमन में रोके रखा।
2017 में खालिद की मौत हो गई और निमिषा पर उसे बेहोश करने वाली दवा देकर मारने तथा शव के टुकड़े करने का आरोप लगा। यमन की अदालत ने उन्हें दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई।
क्या है फांसी से बचने का रास्ता?
यमन के कानून के मुताबिक, अगर मृतक के परिवार से माफीनामा (दीया) मिल जाए तो सजा माफ की जा सकती है। भारत से सामाजिक संगठन और वकीलों की टीम खालिद के परिवार से संपर्क में है, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।
बेटी की मार्मिक अपील
निमिषा की नाबालिग बेटी ने मीडिया के सामने आकर कहा –
“मैं सिर्फ इतना जानती हूं कि मेरी मां जिंदा हैं। प्लीज़ उन्हें फांसी मत दीजिए। मुझे मेरी मां चाहिए।”
उनके पति थॉमस फिलिप ने भारत सरकार से निवेदन किया है कि मानवीय आधार पर अंतिम क्षण तक प्रयास जारी रखें।
भारत सरकार की कोशिशें
विदेश मंत्रालय ने यमन सरकार के सामने राजनयिक स्तर पर बात की है। सामाजिक संगठनों ने फंडिंग कर यमन में वकीलों की टीम को नियुक्त किया है। लेकिन अब समय बहुत कम बचा है।
क्या हो सकता है आगे?
16 जुलाई को फांसी की तारीख तय है। अगर इससे पहले खालिद का परिवार माफ नहीं करता, तो निमिषा की जान बचाना मुश्किल होगा। लेकिन परिवार और देश में हजारों लोग अब भी चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं।