अजयगढ़ तहसील के ग्राम रामनई में रेत माफियाओं के अवैध उत्खनन से हजारों वर्ष पुराना प्राकृतिक झरना और प्राचीन धार्मिक स्थल गंभीर संकट में आ गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार, झरने के आसपास की भूमि पर दैत्याकार मशीनों से हो रहे उत्खनन के कारण झरने की जलधारा 50 प्रतिशत तक घट गई है, जिससे यह अद्वितीय प्राकृतिक धरोहर नष्ट होने की कगार पर है। इसके अलावा, पास के प्राचीन देवस्थान को भी इस अवैध गतिविधि से अपूरणीय क्षति पहुंच रही है।
झरना और देवस्थान पर मंडराया खतरा, ग्रामीणों का अनशन की चेतावनी
25 जून को सैकड़ों ग्रामीणों ने एकत्रित होकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और झरने व धार्मिक स्थल को बचाने की गुहार लगाई। उनकी चेतावनी स्पष्ट थी: यदि इस अवैध उत्खनन पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई, तो पूरा गांव आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर होगा। यह केवल उनकी आस्था और पर्यावरण की रक्षा का मुद्दा नहीं, बल्कि उनके जीवन की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बाहरी रेत माफिया, स्थानीय माफियाओं और अधिकारियों की सांठ-गांठ से इस विनाशकारी उत्खनन को अंजाम दे रहे हैं, जिससे गांव में भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। गांव के लोग पूरी तरह इस प्राकृतिक झरने पर निर्भर हैं, और अब यह झरना विनाश के कगार पर पहुंच गया है।
मीडिया के माध्यम से ग्रामीणों की मदद की पुकार
ग्रामीणों ने मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगाते हुए प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन पर होगी। यह मुद्दा अब जनांदोलन का रूप लेता जा रहा है, और गांव के हर व्यक्ति ने संकल्प लिया है कि वे अपने झरने और देवस्थान को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
ई खबर मीडिया के लिए ब्यूरो देव शर्मा की रिपोर्ट