Sunday, December 7, 2025
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दिल्ली में प्रेम व शादी का संग्राम: पत्नी को वापस लाने की जद्दोजहद में जुटे अवधेश कुमार

दिल्ली के राजौरी गार्डन में रहने वाले अवधेश कुमार इन दिनों अपनी पत्नी लाडली रावत को वापस लाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। अवधेश का दावा है कि उन्होंने जनवरी 2024 में अपनी मर्जी से मंदिर में शादी की थी, लेकिन अब लाडली के परिवार वाले इस रिश्ते को न सिर्फ अस्वीकार कर रहे हैं, बल्कि उनकी दूसरी शादी कराने में लगे हैं।

अवधेश मूल रूप से उत्तर प्रदेश से हैं और पिछले आठ साल से लाडली रावत को जानते हैं। नजदीकियां तब बढ़ीं जब 2023 में लाडली पहली बार घर छोड़कर उनके पास आई थीं। उस समय अवधेश ने समझाइश देकर लाडली को उसके परिवार वालों—पिता अशोक कुमार और माता उर्मिला देवी—के सुपुर्द कर दिया था। परिवार ने भरोसा दिया था कि वे लाडली की शादी उसकी इच्छा के अनुसार कराएंगे।

लेकिन बाद में परिवार ने शादी से साफ इनकार कर दिया। इसी बीच 20 दिसंबर 2024 को लाडली दोबारा अवधेश के पास पहुंच गईं। करीब एक महीने तक दोनों साथ रहे और जनवरी में उन्होंने मंदिर में जाकर शादी कर ली। अवधेश का कहना है कि यह शादी पूरी तरह दोनों की सहमति से हुई।

मामला तब उलझा जब लाडली के पिता अशोक कुमार और माता उर्मिला देवी ने अवधेश के खिलाफ बहला-फुसलाकर भगा ले जाने का मुकदमा दर्ज करा दिया। अवधेश का कहना है कि आरोप निराधार हैं और लाडली अपनी मर्जी से उनके साथ थीं।

अवधेश के अनुसार, 7 फरवरी 2025 को लाडली के परिजन अचानक आए और उन्हें जबरन अपने साथ ले गए। तब से न तो बातचीत हो पा रही है और न मुलाकात। हालांकि जब भी बात हुई, लाडली ने स्पष्ट कहा कि वह दूसरी शादी नहीं करना चाहती और अवधेश के साथ ही जीवन बिताना चाहती है।

उधर, जानकारी मिली है कि लाडली रावत—जो मानिकपुर गांव की रहने वाली हैं—की दूसरी शादी यूपी के अंबेडकर नगर जिले में स्थित शिव मंदिर में कराई जा रही है। अवधेश इस शादी को रुकवाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि लाडली बालिग है, अपने फैसले खुद लेने में सक्षम है और उसने स्पष्ट रूप से उनके साथ रहने की इच्छा जताई है।

अवधेश प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से अपील कर रहे हैं कि लाडली की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उसे अपनी इच्छा के अनुसार जीवन चुनने का अधिकार दिया जाए। उनका मानना है कि यह सिर्फ एक शादी का विवाद नहीं, बल्कि एक महिला की स्वतंत्र इच्छा और अधिकारों की लड़ाई है।

अवधेश को उम्मीद है कि न्याय मिलेगा और लाडली जल्द ही उनके पास लौट आएंगी।

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