नवादा | रजौली थाना क्षेत्र
बिहार के नवादा जिले के रजौली थाना क्षेत्र से एक गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां गांव स्तर पर आपसी समझौते के बावजूद एक गरीब परिवार को कथित रूप से झूठे मुकदमे में फंसाने और पैसे की मांग करने का आरोप पुलिस पर लगाया गया है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि मामूली विवाद को जबरन आपराधिक मामला बनाकर डराया-धमकाया जा रहा है।
मामले की जड़ ग्राम भाईजी भीता, पोस्ट रजौली, थाना रजौली, जिला नवादा से जुड़ी है। ललिता देवी, पति शंभु प्रसाद, ने 8 दिसंबर 2025 को थाना में लिखित आवेदन दिया था। आवेदन में उन्होंने गांव के कई लोगों पर बार-बार “डायन” कहकर प्रताड़ित करने, रास्ता रोकने और झगड़ा करने का आरोप लगाया था। इस मामले को लेकर गांव में तनाव की स्थिति बन गई थी।
हालांकि, ग्रामीण पंचों की पहल पर दोनों पक्षों के बीच आपसी बैठकर समझौता करा दिया गया। समझौता पत्र में साफ तौर पर यह तय हुआ कि आज के बाद कोई भी ललिता देवी को “डायन” कहकर संबोधित नहीं करेगा और न ही दोनों पक्ष एक-दूसरे से लड़ाई-झगड़ा करेंगे। समझौते पर ग्रामीण पंचों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान भी लगाए गए, ताकि भविष्य में किसी तरह का विवाद न हो।
इसी बीच द्वितीय पक्ष की ओर से संतोष यादव ने गंभीर आरोप लगाए हैं। संतोष यादव का कहना है कि उनके छोटे चाचा शंभु प्रसाद के साथ रास्ते को लेकर मामूली कहासुनी हुई थी, जिसे गांव के स्तर पर सुलझा लिया गया। समझौते के बाद दोनों पक्ष पूरी तरह से राजी हो गए थे और इसी समझौते का फोटो संतोष यादव ने मीडिया को भी उपलब्ध कराया है।
संतोष यादव का आरोप है कि इसके बावजूद रजौली थाना में पदस्थापित दरोगा संजय कुमार द्वारा यह कहा जा रहा है कि मामला दर्ज हो चुका है और केस हटाने के बदले कभी 2000 तो कभी 4000 रुपये की मांग की जा रही है। संतोष का कहना है कि जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया, तो उन्हें फोन कर धमकाया गया कि पैसा नहीं दोगे तो केस नहीं हटेगा।
पीड़ित पक्ष का यह भी आरोप है कि जब वे थाना गए तो उनके भाई राहुल के साथ बदसलूकी की गई और उसे थप्पड़ तक मारा गया। संतोष यादव का कहना है कि वे लोग गरीब परिवार से हैं और इतनी रकम देने में असमर्थ हैं, इसी कारण उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
संतोष यादव का दावा है कि उनके चाचा शंभु प्रसाद की ओर से उन्हें एक रिकॉर्डिंग भी भेजी गई है, जिसमें साफ कहा गया है कि उन्होंने कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है। इसके बावजूद पुलिस द्वारा नोटिस भेजे जा रहे हैं, जिसे पढ़ने-समझने में भी परिवार असमर्थ है क्योंकि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने किसी नोटिस को न तो पढ़ा है और न ही स्वीकार किया है।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि दरोगा कथित रूप से एक पक्ष से मिलीभगत कर केवल पैसों के लिए उन्हें झूठे केस में फंसाने की कोशिश कर रहा है। संतोष यादव का कहना है कि वे किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहते, सिर्फ न्याय चाहते हैं। उनका साफ कहना है कि अगर उन्होंने या उनके भाई ने कोई अपराध नहीं किया है, तो उनके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए।
पीड़ित परिवार ने जिला प्रशासन और पुलिस के वरीय अधिकारियों से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने, कथित अवैध वसूली और धमकी देने के आरोपों की जांच करने और उन्हें न्याय दिलाने की मांग की है।


