लखनऊ | संवाददाता
राजधानी लखनऊ के आलमबाग क्षेत्र में एक छोटे व्यापारी की ज़िंदगी अवैध सूदखोरी और जबरन वसूली के चंगुल में तबाह हो गई। मामला इतना गंभीर हो गया कि व्यापारी ने जान देने का फैसला कर लिया, लेकिन आखिरी वक्त पर बेटी के एक फोन ने उसकी जिंदगी बचा ली। व्यापारी ने अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरे सूदखोरी गिरोह पर कार्रवाई की मांग की है।
आलमबाग निवासी सुधीर शर्मा पुत्र सत्यनारायण शर्मा ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि वह पहले एक छोटा व्यापारी था। पत्नी की अचानक गंभीर बीमारी और उसके महंगे इलाज के चलते जमा पूंजी खत्म हो गई। मजबूरी में कारोबार बचाने के लिए उसने मतीन अहमद खान और उसके साथी मनोज कुमार से कुछ रुपये उधार लिए।
लेकिन धीरे-धीरे मदद करने वाले ये लोग ही उसके जीवन के सबसे बड़े अभिशाप बन गए। सुधीर के मुताबिक, मतीन अहमद ने कहा कि “हमारे धर्म में ब्याज हराम है, इसके बदले तुम हमें प्रॉफिट का हिस्सा दो।” इसके बाद 2017 से 2025 तक लगातार 40% तक प्रॉफिट और 3% मासिक ब्याज वसूला गया।
जैसे-जैसे रकम बढ़ती गई, धमकियां भी बढ़ती गईं। सुधीर शर्मा का कहना है कि मतीन अहमद, मनोज कुमार और उनके सहयोगियों ने उसे धमकाया कि अगर पैसे नहीं दिए तो उठा ले जाएंगे। यहां तक कहा — “पैसे नहीं दे पा रहे हो तो मर जाओ, हम पैसे भूल जाएंगे।”
सूदखोरों के दबाव में आकर सुधीर को कई प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों से लोन लेकर ब्याज चुकाना पड़ा, जिससे बैंक का कर्ज भी बढ़ गया। अब स्थिति यह है कि उसका व्यापार खत्म हो गया, दुकान बंद हो गई और बैंक घर की नीलामी की तैयारी में है।
मानसिक तनाव और डर के चलते सुधीर शर्मा ने जनमाष्टमी 2025 को हरिद्वार जाकर गंगा में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की। सौभाग्य से बेटी के फोन ने उसे रोक लिया और वह बच गया। अब सुधीर ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि इस गिरोह पर अवैध सूदखोरी, धोखाधड़ी, जबरन वसूली और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में सख्त कार्रवाई की जाए।
सुधीर ने अपने पत्र में यह भी कहा कि इन लोगों ने उससे जो भारी रकम ब्याज और प्रॉफिट के नाम पर वसूली है, वह रकम उसे वापस दिलाई जाए ताकि वह बैंक की किस्तें चुका सके। साथ ही अपने परिवार की सुरक्षा और आर्थिक मदद की भी मांग की है।
पत्र की प्रतियां उन्होंने डीजीपी लखनऊ, एसएसपी लखनऊ और थाना आलमबाग को भी भेजी हैं।
अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर पर इस मामले में क्या कार्रवाई होती है — क्या इस सूदखोरी के गढ़ पर कानून का शिकंजा कस पाएगा या फिर सुधीर जैसे और लोग इस जाल में फँसते रहेंगे?


