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पति दूसरी महिला के साथ भागा, चार बच्चों की परवरिश को तरस रही पिंकी देवी—प्रशासन व मीडिया से लगाई न्याय की गुहार

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दिल्ली के पंजाबी बाग में रह रही बिहार की महिला बोलीं—“चार बच्चों के साथ कहां जाऊं, मेरा पति खर्चा तक नहीं उठाता… हमें न्याय दिलाइए”

दिल्ली के पंजाबी बाग क्षेत्र में रहने वाली बिहार की पिंकी देवी (33) अपने चार बच्चों के साथ बेहद परेशान हाल में दिन गुजार रही हैं। उनका आरोप है कि उनके पति सुरेश साह (40), जो मूल रूप से सीतामढ़ी जिले के रहने वाले हैं, उन्हें और उनके बच्चों को बिना बताए छोड़कर दूसरी महिला के साथ भाग गए हैं।

पिंकी देवी का मायका मुजफ्फरपुर जिले में है और उनकी शादी को 15 साल हो चुके हैं। उनके चार बच्चे हैं—सबसे बड़ी बेटी 14 साल की है। पिंकी बताती हैं कि उनका पति पिछले कई वर्षों से परिवार की जिम्मेदारी ढंग से नहीं निभा रहा था और किसी भी तरह का खर्चा नहीं उठाता था।

8 नवंबर को छोड़कर चला गया, फोन भी ब्लॉक कर दिया: पिंकी

पिंकी देवी के अनुसार, वे और उनके पति दोनों दिल्ली में मजदूरी करते थे। लेकिन लगभग एक महीने पहले, 8 नवंबर को उनका पति अचानक घर छोड़कर चला गया और तब से अब तक वापस नहीं आया।

“मेरे नंबर को ब्लॉक कर दिया है। फोन करती हूँ तो उठाता भी नहीं… चार बच्चों के साथ कहाँ जाऊँ? खर्चा उठाना मुश्किल हो रहा है,” — पिंकी देवी कहती हैं।

रिंकी नाम की महिला के साथ रहने का आरोप

पिंकी देवी का आरोप है कि उनका पति इस समय रिंकी नाम की महिला, जो हरियाणा/पंजाब क्षेत्र की बताई जाती है और जिसकी भी पहले शादी हो चुकी थी, उसी के साथ रह रहा है।

“दोनों एक महीने पहले भाग गए। रिंकी को भी उसका पति छोड़ चुका था। अब दोनों साथ रह रहे हैं… मुझे और मेरे बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया,”— पिंकी देवी बताती हैं।

“मैं न्याय चाहती हूँ… मेरे बच्चों की परवरिश कैसे होगी?”

पिंकी देवी कहती हैं कि वे इस समय पंजाबी बाग, दिल्ली में चार बच्चों के साथ गुज़ारा कर रही हैं, लेकिन रोज़ी–रोटी और बच्चों के खर्च का भारी संकट है।

“मैं मीडिया और प्रशासन से हाथ जोड़कर गुहार लगाती हूं… मेरी खबर को फैलाया जाए ताकि मेरे पति का पता चल सके और मुझे न्याय मिले। मेरे बच्चों की परवरिश कोई देखेगा?” — पिंकी देवी का निवेदन।

प्रशासन से कार्रवाई की मांग

पिंकी देवी चाहती हैं कि

उनके पति की खोज की जाए,

उन्हें चार बच्चों के भरण–पोषण का हक दिलाया जाए,

और वे तथा उनके बच्चे सुरक्षित जीवन जी सकें।

स्थानीय प्रशासन और महिला आयोग से भी उन्होंने मदद की अपील की है।

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