सोनभद्र से बड़ी खबर | पति अमृतलाल उर्फ राजू 4 महीने से पड़ोस की लड़की के साथ लापता, पत्नी कुसुम यादव दो बच्चों के साथ बेसहारा—थाने में कई बार आवेदन देने के बावजूद कार्रवाई नहीं
सोनभद्र | थाना करमा | विशेष रिपोर्ट
जिला सोनभद्र के करमा थाना क्षेत्र के ग्राम कोइलरिया से एक गंभीर पारिवारिक और सामाजिक मामला सामने आया है, जहां कुसुम यादव नामक महिला पिछले चार महीनों से अपने पति की तलाश में भटक रही है। कुसुम यादव ने थाने में कई शिकायतें दीं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई न होने से वह बेहद परेशान है।
कुसुम यादव ने अपने प्रार्थना पत्र में बताया कि उनकी शादी वर्ष 2015 में अमृतलाल उर्फ राजू, पुत्र रामेश्वर निवासी कोइलरिया से हिंदू रीति–रिवाज से हुई थी। दोनों के दो बच्चे हैं—आर्यन (8 वर्ष) और अनन्या (7 वर्ष)। कुसुम के अनुसार, परिवार शांतिपूर्वक चल रहा था, लेकिन बीते कुछ महीनों में परिस्थितियां पूरी तरह बदल गईं।
घटना 22 जून 2025 की है। कुसुम के अनुसार, उनके पति अमृतलाल गांव की ही एक लड़की निशा, पुत्री सोमारू निवासी सरंगा, के संपर्क में आ गए थे। आरोप है कि निशा, उसकी मां शांति देवी, पिता सोमारू और अन्य लोगों ने मिलकर अमृतलाल को अपने “प्रेमजाल” में फंसाया। घटना वाले दिन शाम करीब 5 बजे मोबाइल पर फोन करके अमृतलाल को अपने घर बुलाया गया और तभी से वह लापता हो गए।
कुसुम का यह भी आरोप है कि जब वह रात में निशा के घर जानकारी लेने पहुँची, तो उसके परिजनों ने उन्हें गालियां दीं, घर में बंद किया और लात-घूंसों से बुरी तरह मारा-पीटा। शोर मचने पर आसपास के लोग इकठ्ठा हुए, तब जाकर कुसुम किसी तरह अपनी जान बचाकर बाहर निकलीं।
इसके बाद कुसुम यादव ने करमा थाने में तीन–चार बार आवेदन दिए, परंतु उनके मुताबिक कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुसुम ने यह भी बताया कि उनका पति गांव कोइलरिया में दूध–क्रीम की दुकान चलाता था, लेकिन घटना के बाद दुकान भी बंद पड़ी है।
इस घटना से कुसुम और उनके दोनों छोटे बच्चे—जो अभी स्कूल जाने की उम्र में हैं—पूरी तरह बेसहारा हो गए हैं। परिवार को आर्थिक रूप से संभालने वाला कोई सदस्य नहीं है। कुसुम अपने ससुराल में बच्चों के साथ रह रही हैं, लेकिन रोजमर्रा का खर्च, बच्चों की पढ़ाई और भोजन तक की व्यवस्था करना मुश्किल होता जा रहा है।
कुसुम ने मीडिया के माध्यम से भावुक शब्दों में कहा—
“मेरे पति अमृतलाल उर्फ राजू की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बच्चों का खर्च उठाएं। वह किसी और लड़की के साथ भाग गए, लेकिन मेरे दो छोटे बच्चों का क्या कसूर है? मैं अकेली कैसे सबका खर्चा उठाऊं? प्रशासन मेरी मदद करे और मेरे पति को ढूंढकर बच्चों की जिम्मेदारी तय करे।”
कुसुम का कहना है कि चार महीनों से न पति की कोई खबर है, न ही पुलिस द्वारा कोई जांच आगे बढ़ाई गई है। वह लगातार परेशान हैं और बच्चों को लेकर चिंता में डूबी रहती हैं।
यह मामला न केवल एक परिवार के टूटने की कहानी है, बल्कि उन तमाम महिलाओं की भी आवाज है, जो अपने पति की गैर-जिम्मेदारी और पुलिस की लापरवाही के बीच पिसती रहती हैं। कुसुम यादव ने मांग की है कि उनके पति को खोजकर कानूनी रूप से बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी तय की जाए, ताकि उनके दोनों बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे।
कुसुम ने प्रशासन, समाज और सरकार से न्याय की अपील की है।


