मधुबनी में मानवता शर्मसार, बीमार माता-पिता की सेवा में जुटी बेटी, भीख मांगकर पेट पालने की मजबूरी
मधुबनी (बिहार)।
बिहार के मधुबनी जिले के फुलपरास थाना क्षेत्र अंतर्गत काली पट्टी गांव से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां गरीबी, बीमारी और सरकारी उपेक्षा ने एक पूरे परिवार को भूख के कगार पर ला खड़ा किया है। इस परिवार की 18 वर्षीय बेटी संतोषी कुमारी अपने बीमार माता-पिता की देखभाल करते हुए खुद भूख और बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है।
संतोषी कुमारी ने बताया कि उसके पिता राम भगत और माता बेचने देवी दोनों ही गंभीर रूप से अस्वस्थ रहते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि घर में खाने तक की व्यवस्था नहीं है। कई-कई दिन चूल्हा नहीं जलता और भोजन के लिए पैसे तक उपलब्ध नहीं होते। मजबूरी में संतोषी कभी गांव में भीख मांगती है तो कभी कोई दया कर देता है, तभी परिवार का पेट भर पाता है।
पीड़िता का कहना है कि इलाज के लिए पैसे न होने के कारण माता-पिता की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। खुद संतोषी पढ़ाई और अपने भविष्य की चिंता छोड़कर माता-पिता की सेवा में दिन-रात लगी हुई है। घर की जिम्मेदारी इतनी भारी है कि कम उम्र में ही उसे जिंदगी की सबसे कठोर सच्चाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
परिवार का आरोप है कि उन्होंने कई बार स्थानीय स्तर पर मदद की गुहार लगाई, लेकिन अब तक कोई ठोस सहायता नहीं मिली। न तो राशन की समुचित व्यवस्था है और न ही किसी सरकारी योजना का लाभ। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि गरीब और असहाय लोगों के लिए बनी सरकारी योजनाएं आखिर किसके लिए हैं।
अब संतोषी कुमारी ने मीडिया के माध्यम से सरकार और प्रशासन से मदद की अपील की है। उसका कहना है कि यदि समय रहते सहायता नहीं मिली तो उनके परिवार पर बड़ा संकट आ सकता है। यह मामला न केवल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि समाज के सामने भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या आज भी भूख से लड़ती बेटियों की आवाज अनसुनी रह जाएगी।
