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अमेठी जिले के मुंशीगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत पहाड़पुर गांव से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है,

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अमेठी (उत्तर प्रदेश)।
अमेठी जिले के मुंशीगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत पहाड़पुर गांव से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां मेहनत-मजदूरी कर किसी तरह घर बनाने वाले एक गरीब परिवार का आशियाना बिना किसी पूर्व सूचना के तोड़ दिया गया। पीड़ित पवन कुमार कश्यप (40 वर्ष) का आरोप है कि पूर्वजों से चली आ रही जमीन पर बने उनके मकान को दबंगों ने पुलिस के नाम पर ढहा दिया, जबकि उनके पास न तो कोई नोटिस था और न ही कोई लिखित आदेश।

पवन कुमार कश्यप ने बताया कि उनके परिवार में दो बेटियां और दो बेटे हैं। बेटियां शादी योग्य हैं लेकिन घर टूटने के बाद परिवार की हालत बद से बदतर हो गई है। पवन का कहना है कि जिस जमीन पर उनका घर था, वह वर्षों से उनके कब्जे में थी, लेकिन बाद में चंद्रवंशी समुदाय के लोगों के आने से उसे आबादी की जमीन बताया जाने लगा।

पीड़ित के अनुसार उन्होंने कड़ी मेहनत और मजदूरी से पैसे जोड़कर पक्का मकान बनवाना शुरू किया था। करीब 8 फुट ऊंची दीवार खड़ी हो चुकी थी और छत डालने की तैयारी थी। घर बनाने के लिए पत्नी बबीता ने अपने कान के झुमके तक बेच दिए थे और रिश्तेदारों से मदद लेकर किसी तरह निर्माण कराया जा रहा था। इसी बीच नेकपाल गोविंद तिवारी नामक व्यक्ति और पुलिस अन्य लोगों के साथ मौके पर पहुंचा और बिना कोई कागजात दिखाए पूरी दीवार तोड़ दी।

पवन का आरोप है कि मौके पर पुलिस पहुंची, लेकिन किसी प्रकार का नोटिस या आदेश नहीं दिखाया गया। उनका कहना है कि अगर घर तोड़ना ही था तो प्रशासन पहले उन्हें कहीं रहने के लिए वैकल्पिक जगह देता। अब चार बच्चों और पत्नी के साथ वह खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

परिवार का कहना है कि उनके पास न तो खेती की जमीन है और न ही कोई स्थायी रोजगार। मजदूरी ही जीवन का एकमात्र सहारा है। घर टूटने के बाद बच्चों की पढ़ाई, बेटियों की शादी और परिवार की सुरक्षा सभी सवालों के घेरे में आ गई है।

अब पीड़ित परिवार ने मीडिया के माध्यम से प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें न्याय दिलाया जाए, दोषियों पर कार्रवाई हो और रहने के लिए कोई सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराया जाए। गांव में इस घटना के बाद लोगों में भी रोष और डर का माहौल है।

 

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