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जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद अब कौन बनेगा उपराष्ट्रपति, सदन में कौन कितना ताकतवर?

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद, अब देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद यानी उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव होने वाला है, जो कई मायनों में अहम है। इस चुनाव में संख्याबल के लिहाज से सत्तारूढ़ एनडीए स्पष्ट बढ़त पर है। संसद के दोनों सदनों में एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है, जो उपराष्ट्रपति चुनाव में एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों के वोट इसका निर्धारण करते हैं। तो ऐसे में उपराष्ट्रपति एनडीए से ही हो सकता है। कई नामों को लेकर अटकलबाजी जारी है।
सदन में सीटों का गुणा भाग

543 सदस्यीय लोकसभा में पश्चिम बंगाल के बशीरहाट की एक सीट रिक्त है, जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच सीटें खाली पड़ी हैं। इससे राज्यसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 240 रह जाती है। वहीं, राज्यसभा में रिक्त पांच सीटों में से चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से है, जहां के वर्तमान सदस्य संजीव अरोड़ा ने पिछले महीने हुए उपचुनाव में राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद सीट छोड़ दी थी।

लोकसभा की बात करें तो, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 542 सदस्यीय सदन में 293 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्यसभा में 129 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिसकी प्रभावी संख्या 240 है, यह मानते हुए कि मनोनीत सदस्य एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करते हैं। इस तरह से कुल मिलाकर, उपराष्ट्रपति पद के लिए दोनों सदनों की संयुक्त संख्या 786 है, जिसका अर्थ है कि किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए 394 वोटों की आवश्यकता होगी। 422 सदस्यों के समर्थन से एनडीए आसानी से यह आंकड़ा पार कर लेता है, जिससे आगामी मुकाबले में उसे एक मजबूत स्थिति प्राप्त होती है।

क्या होगी आगे की प्रक्रिया?

उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है, लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद, वे तब तक पद पर बने रह सकते हैं जब तक कि उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले।

संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार, उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने के कारण उत्पन्न रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही संपन्न हो जाता है।

यदि मृत्यु, त्यागपत्र, निष्कासन या अन्य किसी कारण से कोई रिक्ति उत्पन्न होती है, तो उस रिक्ति को भरने के लिए चुनाव घटना के तुरंत बाद किया जाता है।

यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का पालन करता है, जिसमें गुप्त मतदान होता है। दोनों सदनों के सदस्य उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में रैंक करते हैं।

इस्तीफा देकर धनखड़ ने चौंकाया

सोमवार (21 जुलाई) को जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। इसकी टाइमिंग भी चौंकाने वाली है क्योंकि संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया और इसके पीछे उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कहा कि इसीलिए मैंने इस्तीफा दिया है।

इस्तीफे को लेकर लग रहे ये कयास

धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की वजहों को देखें तो ऐसा लगता है कि सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन जो घटनाएं घटी, वह धनखड़ के इस्तीफे का कारण हो सकती हैं। दूसरा ये भी हो सकता है कि धनखड़ के लगातार न्यायपालिका के खिलाफ तीखे बयानों से सरकार असहज हो गई थी और इस वजह से भी वो दबाव में रहे हों। तीसरा ये कि उनके बयानों को अक्सर सरकार का रुख माना जाता था, जिससे सरकार आलोचना के घेरे में आ जाती थी। लेकिन ये सच और संभव भी है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे वास्तव में उनकी हेल्थ प्रॉब्लेम्स हों।

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