बुरहानपुर. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से अजब गजब मामला सामने आया है. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर असीरगढ़ गांव में एक खेत में मुगलकालीन सोने के सिक्के मिलने का मामला सामने आया है. हालांकि यह अफवाह है या हकीकत, इसकी पुरातत्व विभाग जांच कर रहा है. लेकिन इतिहासकारों के मुताबिक यह सिर्फ अफवाह है. यह अफवाह अब जिलें में आग की तरह फैल रही है. सोशल मीडिया पर भी सोने के सिक्के मिलने की खूब चर्चा है. मुगलकालीन सोने के सिक्के का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. फिलहाल इन सिक्कों को इतिहासकारों ने नकली और फेक बताया है.
मालूम हो कि नेशनल हाइवे में खुदाई का काम चल रहा है. सड़क निर्माण विभाग ने खेतों में खुदाई की है. इसी दौरान सोने के सिक्के मिलने की अफवाह फैल गई है. हालांकि इस मामले में कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने इसे केवल एक अफवाह बताकर असली और नकली सिक्के में अंतर साफ-साफ बताया है.
इतिहासकार कमरुद्दीन फलक का कहना है कि असीरगढ़ गांव में ऊंची पहाड़ी पर असीरगढ़ का मुगलकालीन किला है. जब सन 1601 इस्वी में शासक अकबर ने असीरगढ़ किले को घेरा था तब स्थानीय लोगों ने इनसे बचने के लिए सोने के सिक्के जमीन में गाड़ दिए थे. अलाउद्दीन खिलजी के समय भी लोगों ने सोने के सिक्के गाड़े थे. इलाके में सोने के सिक्के मिलना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है. कई बार मुगलकालीन सिक्के मिलने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन वर्तमान में जो सिक्के मिले है वह सिर्फ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है. किसी ने देखे नहीं है.
उन्होंने असली और नकली सिक्के में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि नकली सिक्का तुगलक डायनेस्टी का है जिस पर उर्दू भाषा में ताजुलमुल्क फिरोज लिखा है. इसमें जर्ब टकसाल नहीं लिखा है. हर अधिकृत सिक्के पर टकसाल होती है जो वायरल सिक्कों पर नहीं है क्योंकि ये नकली है. इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने इस तरह की अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रशासन से मांग की है. हालांकि इस मामले की जांच में पुरातत्व विभाग की टीम जुट गई है. जांच पड़ताल की जा रही है कि आखिर इस मामले में कितनी सच्चाई है. हकीकत है या अफवाह इसकी जांच की जा रही है.