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साल का आखिरी सूर्यग्रहण लगने को तैयार, आसमान में दिखेगी ‘रिंग ऑफ फायर’, जानें क्यों होती है ये दुर्लभ खगोलीय घटना

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साल 2024 का दूसरा सूर्यग्रहण लगने में बस कुछ घंटे बाकी हैं। 2 अक्टूबर को लगने वाला यह साल का आखिरी सूर्यग्रहण भी होगा। इसके पहले 8 अप्रैल को सूर्यग्रहण लगा था, तब धरती पर पूरी तरह अंधेरा छा गया था। वह एक पूर्ण सूर्यग्रहण था, जबकि 2 अक्टूबर को वलयाकार होगा। इस दौरान आसमान में सूरज आग के छल्ले की तरह नजर आएगा। इसे रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है। सूर्यग्रहण की टाइमिंग क्या होगी, कहां और कैसे नजर आएगा, ये सब हम बताएंगे, लेकिन उसके पहले जानते हैं कि सूर्यग्रहण आखिर क्या है और कैसे होता है?
सूर्यग्रहण क्या है?
सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो उस समय होती है, जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं। चंद्रमा के बीच में आ जाने से सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाता है, जिससे एक दुर्लभ नजारा होता है। सूर्य ग्रहण तीन तरह के होते हैं- पूर्ण सूर्यग्रहण, वलयाकार सूर्यग्रहण और आंशिक सूर्यग्रहण। इसके पीछे पृथ्वी और चंद्रमा की बदलती दूरी वजह बनती है।
पूर्ण सूर्यग्रहण क्या होता है?
वैसे तो सूर्य चंद्रमा से लगभग 400 गुना बड़ा है, लेकिन यह लगभग 400 गुना दूरी पर भी है। यही वजह है कि हमें आसमान में सूर्य और चंद्रमा लगभग एक ही आकार के दिखाई देते हैं। लेकिन पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी बदलती भी है, जिससे इसके आकार में अंतर होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक होता है, उस दौरान वह बड़ा दिखाई देता है। इस समय सूर्यग्रहण लगने पर चंद्रमा सूर्य के कोरोना को पूरी तरह ढक लेता है और पृथ्वी पर दिन में कुछ समय के लिए अंधेरा हो जाता है।
क्यों होता है रिंग ऑफ फायर?
धरती के चारों को चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है। इसका मतलब है कि पृथ्वी की परिक्रमा करते समय यह हमसे दूरी बदलता रहा है। वहीं, पृथ्वी भी अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य से दूरी बदलती है। जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे सबसे दूर बिंदु पर होता है, तो यह सामान्य से छोटा दिखाई देता है। इस बिंदु पर या उसके पास होने पर यह सूर्य के ठीक सामने से गुजरता है तो यह सूर्य को पूरी तरह से ढकता नहीं दिखाई देता है। इसके चलते चंद्रमा के चारों ओर सूर्य की रोशनी का छल्ला दिखाई देता है। यह रिंग ऑफ फायर जैसा नजर आता है।
आंशिक सूर्यग्रहण
जब चंद्रमा और सूर्य पूरी तरह एक सीध में नहीं होते हैं और चंद्रमा का केवल एक हिस्सा सूर्य के सामने से गुजरता है। इस दौरान यह सूर्य के एक हिस्से को ही ढकता है। इस खगोलीय घटना को आंशिक सूर्यग्रहण के नाम से जाना जाता है। वैसे यह जानना जरूरी है कि पृथ्वी भी सूर्य के चारों ओर थोड़ा अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाती है। इसके चलते यह कभी सूर्य के करीब (जनवरी में) और कभी दूर (जुलाई में) होती है। पृथ्वी के करीब और दूर जाने से सूर्य का आकार भी बदलता है। यह भी इस बात में भूमिका निभा सकता है कि ग्रहण वलयाकार होगा या पूर्ण सूर्यग्रहण।
कब दिखेगा रिंग ऑफ फायर?
टाइम एंड डेट डॉट कॉम के अनुसार, वलयाकार ग्रहण को दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित प्रशांत महासागर, चिली और दक्षिणी अर्जेटीना के इलाके में देखा जा सकेगा भारतीय समयानुसार रात के 9:13 बजे शुरू होगा और 3 अक्टूबर को सुबह 3:17 बजे तक देखा जा सकेगा। इस तरह यह लगभग छह घंटे तक रहेगा।
भारत के खगोलप्रेमियों के लिए निराशा भरी खबर है। 2 अक्टूबर को लगने वाला सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, क्योंकि उस समय यहां रात हो रही होगी। हालांकि, पूरी तरह निराश होने की जरूरत नहीं है। विभिन्न खगोलीय एजेंसियां सूर्यग्रहण का लाइव टेलीकास्ट करेंगी, जहां इसे देखा जा सकता है।

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