सोनभद्र, उत्तर प्रदेश | दुद्धी तहसील के अंतर्गत पश्चिमी परासी गांव में दबंगई की हद पार हो गई। गांव निवासी दिलीप कुमार पुत्र वासुदेव वैश्य पर चार हमलावरों ने मिलकर जानलेवा हमला कर दिया। लोहे की रॉड और डंडों से लैस हमलावरों ने पहले दिलीप के सिर पर वार किया, फिर उसके पैर को इस कदर पीटा कि वह टूट गया। खून से लथपथ दिलीप को नेहरू चिकित्सालय, सिंगरौली में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया है।
पीड़ित ने आरोप लगाया है कि यह हमला विनय कुमार पुत्र रामनरेश, राजेश कुमार पुत्र दादे राम वैसवर, शत्रुधन पुत्र झुरई और कृष्णा यादव पुत्र छून्नू यादव द्वारा एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया, जिससे उसे गांव से भगाया जा सके। बताया जा रहा है कि हमले की जड़ में एक पुराना मापी विवाद है।
दिलीप का परिवार इस हमले से बेहद दहशत में है। दबंगों की धमकियों के चलते वे पुलिस में शिकायत तक दर्ज नहीं करा पा रहे हैं। पीड़ित ने बताया कि एसपी सोनभद्र और अनपरा थाना को सूचना दी गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
यह घटना न केवल गांव में दहशत का माहौल पैदा कर रही है, बल्कि पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े करती है।
क्या है पूरा मामला
सिर पर वार कर तोड़ा पैर, दिलीप अस्पताल में जिंदगी से लड़ रहा – परासी गांव में दबंगों का कहर!
सोनभद्र : दुद्धी तहसील के पश्चिमी परासी गांव में दबंगों की दरिंदगी ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। गांव के निवासी दिलीप कुमार पर चार लोगों ने मिलकर जानलेवा हमला किया। लोहे की रॉड, लाठी और डंडों से लैस हमलावरों ने पहले दिलीप के सिर पर वार किया, फिर पैर तोड़ दिया। पीड़ित इस समय नेहरू चिकित्सालय, सिंगरौली में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है।
पीड़ित ने आरोप लगाया है कि हमला राजेश कुमार पुत्र दादे राम वैसवर, झुरी का बेटा शत्रुघ्न यादव और कृष्णा यादव ने मिलकर किया। हमला इतनी बेरहमी से किया गया कि पूरा परिवार दहशत में है। बताया जा रहा है कि यह हमला एक पुराने मापी विवाद को लेकर हुआ और पीड़ित को गांव से भगाने की साजिश के तहत अंजाम दिया गया।
पुलिस में शिकायत दर्ज कराने से डर रहा परिवार
घटना के बाद से दिलीप का परिवार सदमे और भय में है। लगातार मिल रही धमकियों के चलते पुलिस थाने तक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पीड़ित ने बताया कि घटना की जानकारी एसपी सोनभद्र और थाना अनपरा को दी गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
क्या पुलिस प्रशासन जागेगा?
क्या पीड़ित को मिलेगा न्याय?
या फिर दबंगों की दहशत यूं ही कायम रहेगी?
प्रशासन पर सवाल
यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि ग्रामीण इलाकों में किस तरह दबंगों की दहशत फैली हुई है। क्या प्रशासन जागेगा? क्या दिलीप को न्याय मिलेगा? या फिर दबंगों की यह दहशत यूं ही कायम रहेगी?