Friday, November 14, 2025
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मजदूरों की पुकार: मंजेंटा कंपनी में काम करवाकर वेतन नहीं दिया गया — भिमशक्ति क्रांतिकारी संगठन से मदद की गुहार

रिपोर्ट: कंचन, संवाददाता ठाणे (महाराष्ट्र)।

ठाणे जिले के बदलापुर हाइवे स्थित मंजेंटा कंपनी में कार्यरत मजदूरों ने कंपनी प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मजदूरों का कहना है कि कंपनी ने उनसे महीनों तक काम करवाया, लेकिन वेतन नहीं दिया गया। अब उन्होंने भिमशक्ति क्रांतिकारी संगठन और RPI (A) से न्याय दिलाने की मांग की है।

मजदूर राजेश हरिजन की व्यथा

शिकायतकर्ता राजेश हरिजन, जो मंजेंटा कंपनी में डिलीवरी (DCD) के पद पर कार्यरत थे, ने संगठन के अध्यक्ष मा. सुरेश भोइर और RPI (A) के प्रदेश अध्यक्ष मा. मिलिंद वानखेडे को लिखे आवेदन में कहा है —

“मैं अनुसूचित जाति का मजदूर हूँ। मंजेंटा कंपनी में 6 महीने से काम कर रहा था। 21 अगस्त 2025 से 20 सितंबर तक लगातार 25 दिन काम किया, लेकिन सैलरी नहीं मिली। बीमार होने के बाद भी जब काम पर लौटना चाहा, तो कंपनी अधिकारियों ने धमकाया — बोले कि ‘15 दिन और काम करो, तभी सैलरी मिलेगी, वरना पुलिस या कोर्ट चले जाओ, कुछ नहीं होगा।’”

राजेश ने बताया कि उन्होंने कुल 684 ऑर्डर पूरे किए, जिनका भुगतान लगभग ₹52,668 रुपये बनता है। इसके अलावा, अक्टूबर में उन्होंने चार दिन अतिरिक्त काम किया — 84 ऑर्डर पूरे किए — जिसकी मजदूरी भी अब तक नहीं दी गई।

उनका कहना है कि प्रबंधन के राकेश सिंह (मैनेजर) और महबूब (सुपरवाइज़र) मजदूरों पर दबाव बनाकर काम करवाते हैं, और जो भी विरोध करता है, उसकी सैलरी रोक दी जाती है।

राजेश बताते हैं कि कंपनी ने पहले ही ₹3,000 डिपॉजिट के नाम पर काटे थे, और अब उनका कुल बकाया करीब ₹35,936 रुपये है।

दूसरा पीड़ित — धन्यसिंह बिरुनंदा सिंह

डोम्बिवली ईस्ट की स्वामी समर्थ दर्शन चॉल में रहने वाले धन्यसिंह बिरुनंदा सिंह ने भी यही आरोप लगाया है।

“मी मंजेंटा कंपनीमध्ये काम करत होतो. आमच्याकडून काम करून घेतले, पण पगार दिला नाही. 20 ऑगस्ट ते 20 सप्टेंबर 2025 दरम्यान काम केलं, पण शेवटी पाठीचा त्रास झाला आणि मी काम सोडलं. तरी पगार मिळाला नाही.”

धन्यसिंह का कहना है कि उन्होंने सुपरवाइज़र को पहले ही बताया था कि वे कुछ दिन के लिए गाँव जा रहे हैं और वापस लौटेंगे, लेकिन कंपनी ने उनका बकाया रोक लिया।

संगठन की प्रतिक्रिया

भिमशक्ति क्रांतिकारी संगठन के अध्यक्ष मा. सुरेश भोइर ने कहा —

“यह सीधा श्रम कानून का उल्लंघन है। मजदूरों से काम करवाकर उनकी मेहनत की कमाई रोकना अपराध है। संगठन इस मामले को श्रम विभाग तक ले जाएगा ताकि हर मजदूर को उसका हक़ मिले।”

वहीं, RPI (A) के प्रदेश अध्यक्ष मा. मिलिंद वानखेडे ने कहा —

“अनुसूचित जाति से आने वाले मजदूरों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संगठन हर संभव कानूनी सहायता देगा।”

मजदूर राजेश की विस्तृत गणना 

मैंने 21 अगस्त से 20 सितंबर 2025 तक 25 दिन काम किया — 684 ऑर्डर पूरे किए (₹52,668)। गाड़ी का रेट ₹20,000 काटा गया, जिससे ₹32,668 बचता है। फिर अक्टूबर में 4 दिन काम किया — 84 ऑर्डर (₹6,468)। पहले ₹3,000 डिपॉजिट भी काटा गया था। इस तरह कुल बकाया ₹38,936 रुपये बनता है।

राजेश का कहना है कि कंपनी अधिकारी राकेश सिंह और महबूब ने धमकी दी —

“तुम पुलिस या कोर्ट चले जाओ, कोई कुछ नहीं कर सकता। सैलरी की उम्मीद मत करना।”

राजेश ने भिमशक्ति क्रांतिकारी संगठन से निवेदन किया है कि उन्हें उनका हक़ दिलाया जाए।

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