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थाने में भी सुरक्षित नहीं रहीं वंदना — पति धमकी दे रहा, पर वह फिर भी ससुराल में रुकी हुई है

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जांजगीर चांपा जिला, गांव नरियारा

जिस बहू को उसके ही ससुराल वालों ने पहले ज़हर पिला कर मारने की कोशिश की, वही अब थाने के बाहर और थाने के अंदर भी सुरक्षित नहीं रह सकी। 29 वर्षीय वंदना राठौर जब 6 अक्टूबर को अपने बयान के लिए स्थानीय थाने पहुंची, तो ससुराल के कुछ लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में ही उसके साथ गाली‑गलौज और धक्का‑मुक्की की। इस दौरान वंदना की तबियत बिगड़ी और उसे पामगढ़ अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

मामले को और गंभीर मोड़ तब मिला जब वंदना के पति ने धमकी दी कि अगर उसने पुलिस में शिकायत कायम रखी तो वह जहर खाकर न केवल खुद को, बल्कि वंदना के मायके वालों को भी फँसा देगा। परिजन व थाना आने वाले लोगों का कहना है कि पति का यह बयान वंदना के लिए और भी भयावह है — वंदना के साथ उसका छोटा बच्चा भी है और वह कहती है कि वह “अपने ससुराल में ही रहेगी”। यह स्थिति वंदना की सुरक्षा और मानसिक दबाव दोनों के लिए चिंता का कारण बनी हुई है।

डर के साये में घर — बच्चे के सामने मजबूरी

वंदना के मायके वालों का कहना है कि बेटी पहले भी जानलेवा हालत से उभरी है। 24 अगस्त को कथित रूप से सास सीताबाई राठौर, ससुर सनत कुमार राठौर और देवर मनोज राठौर ने उसे पीटकर ज़हर पिलाया था। तब वंदना गंभीर हालत में अकलतरा और फिर बिलासपुर के श्रीराम केयर अस्पताल की ICU में लगभग 10 दिन रहीं। ठीक होने के बाद वह मायके गई थी, लेकिन परिस्थितियाँ इतनी भयावह रहीं कि वह फिर भी ससुराल में रहना चाहती है — हो सकता है बच्चे या सामाजिक‑पारिवारिक दबाव के कारण। परिजन कहते हैं कि पति व ससुराल वाले लगातार वंदना पर दबाव बना रहे हैं।

परिजन‑पुलिस संघर्ष — प्रशासन की कार्यवाही पर सवाल

वंदना के परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शिकायत के बावजूद मुख्य आरोपित — सीताबाई, सनत कुमार और मनोज राठौर — अब भी फरार हैं और कुछ ससुराल वाले उनकी मदद कर रहे हैं। वहीं थाना प्रभारी का कहना है कि “मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है, आरोपियों की तलाश जारी है और CCTV फुटेज की जाँच की जा रही है”। परिजन इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं और मांग कर रहे हैं कि प्रशासन तुरंत वंदना और उसके बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

वंदना की बहन अंजना राठौर ने चेतावनी दी —
“पहले मेरी बहन को ज़हर दिया गया, वह 10 दिन ICU में रही। अब थाने में ही हमला हुआ। आरोपी खुले घूम रहे हैं। अगर अब मेरी बहन को कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की होगी।”

गांव में दहशत — महिला सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह

नरियारा और आसपास के गांवों में लोगों में बेचैनी और डर है। ग्रामीण पूछ रहे हैं — “अगर थाने में ही महिला सुरक्षित नहीं है, तो और कहाँ सुरक्षित रहेगी?” बच्चे‑महिला सुरक्षा, FIR दर्ज होने के बाद सक्रिय गिरफ्तारी और थाने के भीतर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।

24 अगस्त: वंदना पर कथित हमला और जबरन ज़हर पिलाने का आरोप

अगस्त‑सितंबर: गंभीर हालत में अकलतरा व श्रीराम केयर (बिलासपुर) में लगभग 10 दिन ICU भर्ती

18 सितंबर: वंदना ने लिखित शिकायत दर्ज कराई

6 अक्टूबर: बयान के लिए थाने पहुंचने पर ससुराल वालों ने थाने परिसर में ही मारपीट; वंदना की तबीयत फिर बिगड़ी — पामगढ़ अस्पताल में भर्ती

तत्काल स्थिति: मुख्य आरोपी फरार; परिजनों का आरोप है कि अन्य सदस्य आरोपियों को छिपा रहे हैं; पति द्वारा धमकी — “मैं जहर खाकर तुम्हारे घर वालों को फ़ँसा दूँगा”

परिजन‑प्रशासन से माँगे (तत्काल)

परिजनों और गांववासी निम्नलिखित कदम तुरंत उठाने की मांग कर रहे हैं:

1. वंदना और उसके शिशु के लिए तात्कालिक सुरक्षा और सुरक्षित आवास की व्यवस्था।

2. फरार आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारियाँ और उनके ठिकानों की खोज।

3. थाने परिसर में हुई मारपीट की जिम्मेदारी तय करने हेतु CCTV फुटेज की निष्पक्ष जाँच और सार्वजनिक स्पष्टीकरण।

4. पीड़िता का सुरक्षित व भयमुक्त बयान दर्ज कराने के लिए महिला सुरक्षा अधिकारी/वकील की व्यवस्था।

परिवार न्याय की दृढ़ माँग कर रहा है। गांव में भय का माहौल बढ़ रहा है और वंदना की ससुराल में रहने की स्थिति, पति की धमकी और आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से सुरक्षा‑चिंता तीव्र हो गई है। परिजन चेतावनी दे रहे हैं कि यदि वंदना व उसके बच्चे को कोई अनहोनी हुई तो उसकी पूरी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन व पुलिस की होगी

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