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समस्तीपुर की पिंकू देवी की व्यथा: पति और ससुराल पक्ष के अत्याचारों से तंग आकर बोलीं — “अब जीने नहीं दे रहे, मरने पर मजबूर कर रहे हैं”

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समस्तीपुर (बिहार)।
समस्तीपुर जिले के थाना विभिति पुर सोकसाहा क्षेत्र की रहने वाली पिंकू देवी (उम्र 40 वर्ष) इन दिनों गंभीर मानसिक और पारिवारिक प्रताड़ना का सामना कर रही हैं। उनका विवाह वर्ष 2003 में सुरेश दास से हुआ था। वर्तमान में पिंकू देवी दिल्ली में रह रही हैं, लेकिन उनका कहना है कि पति और ससुराल पक्ष के लगातार अत्याचारों ने उन्हें तोड़ कर रख दिया है।

पिंकू देवी ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं — एक बेटी और दो बेटे। बेटी सबसे बड़ी है। जब बेटी का जन्म हुआ था तभी से पति सुरेश दास उनका अपमान करने लगे, गाली-गलौज और मारपीट करना आम बात बन गई।
उन्होंने बताया कि “जब से मेरी बेटी हुई, तब से मेरे पति और उनकी मां जगतारण देवी, ननद सरिता और बाकी तीनों ननदें मुझे सताने लगीं। सब मिलकर मुझे घर से निकालने की साजिश करती हैं।”

पिंकू देवी के अनुसार, जब भी वह मायके जाने की कोशिश करती हैं, ससुराल वाले कहते हैं कि ‘भाग गई’, और जब लौटती हैं तो उन्हीं पर झूठे आरोप लगाते हैं कि ‘कहीं चली गई थी, अब क्यों वापस आई।’
उन्होंने बताया कि उन पर यहां तक का इल्जाम लगाया गया कि उन्होंने खाने में जहर डालकर अपने बेटे को मारने की कोशिश की, जबकि यह पूरी तरह झूठ है।

पीड़िता ने रोते हुए बताया कि, “मेरे पति मुझे शांति से रहने नहीं देते, न ही आज़ादी से जीने देते हैं। मैंने उनसे कहा कि मुझे छोड़ दो, मैं कहीं और शांति से रह लूंगी, लेकिन वे ऐसा भी नहीं करते। मैं अब बिल्कुल अकेली हूं — मेरे माता-पिता नहीं हैं, न कोई सहारा।”

पिंकू देवी का कहना है कि उनके पति सिर्फ अपने माता-पिता और ननदों की बात सुनते हैं, बच्चों की भावनाओं की भी परवाह नहीं करते। उन्होंने कहा, “बच्चे भी अब डरते हैं। वे अपने पिता से स्नेह की उम्मीद करते हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ अपमान और डर मिलता है।”

पिंकू देवी ने मीडिया और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि वे अब किसी तरह सुरक्षा और शांति चाहती हैं।
उन्होंने कहा, “अगर मुझे न्याय नहीं मिला, तो मेरे जैसे कई महिलाएं भी इसी दर्द में जीती रहेंगी। मैं चाहती हूं कि मेरे साथ इंसाफ हो ताकि मेरे बच्चे एक सुरक्षित जीवन जी सकें।”

रिपोर्ट: कंचन, मीडिया संवाददाता

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