कुशीनगर (उत्तर प्रदेश), 03 नवंबर 2025।
जनपद कुशीनगर के कुबेरस्थान थाना क्षेत्र के जंगल सिसवा गांव की रहने वाली नैना खातून पत्नी सागर अली ने अपने पति और ससुराल पक्ष पर लगातार प्रताड़ना, दहेज उत्पीड़न और मारपीट का गंभीर आरोप लगाया है।
नैना खातून ने थानाध्यक्ष कुबेरस्थान को दिए गए अपने लिखित आवेदन में बताया कि उनकी शादी सागर अली पुत्र इमाम हुसैन उर्फ बच्चन अली से प्रेम विवाह के रूप में हुई थी। यह विवाह लगभग एक वर्ष पूर्व संपन्न हुआ था।
नैना का कहना है कि चूंकि यह प्रेम विवाह था, इसलिए उनके पति को दहेज नहीं मिला, जिसके चलते पति, सास और ससुर ने उन्हें लगातार प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। पीड़िता ने बताया कि “शादी के बाद शुरू में सब कुछ ठीक था, लेकिन कुछ ही महीनों बाद मेरे पति सागर अली, ससुर इमाम हुसैन उर्फ बच्चन अली और सास समीना खातून ने मुझे गालियां देना और मारपीट करना शुरू कर दिया। वे कहते थे कि जब दहेज नहीं लाई तो घर में रहने का कोई हक नहीं है।”
पीड़िता ने बताया कि 2 जनवरी 2025 को तीनों ने मिलकर उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद वह अपनी बड़ी बहन टिया खातून (पत्नी आशिक अली) के साथ गोहरिया गांव में रहने लगीं। उन्होंने बताया कि “मैं कई बार ससुराल वापस जाने की कोशिश की, लेकिन हर बार मुझे धमकाकर भगा दिया गया।”
नैना खातून ने बताया कि उन्होंने थाना कुबेरस्थान, महिला थाना, और पुलिस अधीक्षक कार्यालय सहित कई जगहों पर आवेदन दिया, परंतु कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि मामला दर्ज होने के बावजूद ससुराल पक्ष ने पैसे के बल पर पुलिस में दबाव डालकर कार्रवाई को रोक दिया है।
पीड़िता ने कहा कि वह अब भी अपने पति के साथ रहना चाहती हैं, परिवार बसाना चाहती हैं और अपने वैवाहिक जीवन को बचाना चाहती हैं। उन्होंने मीडिया से कहा, “मैं अपने पति से अलग नहीं होना चाहती। बस चाहती हूँ कि वह और उनका परिवार मुझे स्वीकार कर ले। मैं झगड़ा नहीं चाहती, मैं सिर्फ अपना घर और परिवार चाहती हूँ।”
नैना खातून ने आगे कहा कि उनका सात महीने का बेटा रमजान अली है। वह बोलीं, “अगर मेरा पति मुझे नहीं रखना चाहता है तो कम से कम मेरे बेटे और मेरा खर्च उठाए। मेरा बच्चा सिर्फ सात महीने का है, उसकी पढ़ाई-लिखाई और परवरिश की जिम्मेदारी मेरे पति की ही है।”
उन्होंने कुशीनगर जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक से न्याय, सुरक्षा और भरण-पोषण की मांग की है ताकि वह अपने बेटे के साथ सुरक्षित जीवन व्यतीत कर सकें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई तो वह महिला आयोग और उच्च अधिकारियों से भी संपर्क करेंगी।
अब नैना खातून की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं — कि क्या उन्हें न्याय मिलेगा, या फिर एक और महिला की पुकार सरकारी फाइलों में दबकर रह जाएगी।
– कंचन, मीडिया संवाददाता, कुशीनगर।


