सीतापुर (उत्तर प्रदेश)।
गरीबी की मार, टूटी झोपड़ी और अधूरी पढ़ाई… लेकिन हौसले बुलंद। सीतापुर जिले के धवारपारा पोस्ट, बेसौली गांव के रहने वाले 18 वर्षीय सुमित कुमार सोशल मीडिया की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की जंग लड़ रहे हैं।
सुमित कुमार, पिता संतलाल, का जन्म 1 जनवरी 2004 को हुआ। चार भाई-बहनों में यह दूसरे नंबर पर हैं। परिवार की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि ठीक से पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए। बड़ी बहन सरला देवी की अभी शादी नहीं हुई, और खुद सुमित भी कुंवारे हैं।
गांव में टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने वाले सुमित के पास न उच्च शिक्षा है, न सुविधाएं। लेकिन सोशल मीडिया पर अपने वीडियो के जरिए लोगों को जोड़ने का उनका सपना दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है। इंस्टाग्राम पर उनके करीब 300 फॉलोअर्स हो चुके हैं और धीरे-धीरे उनकी पहचान बढ़ रही है।
सुमित का कहना है— “मेरे पास ज्यादा साधन नहीं हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि लोग मुझे देखें, मेरे वीडियो को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें।”
वह अपने मोबाइल से ही वीडियो बनाते हैं, जिसमें गांव की जिंदगी, आम लोगों की कहानियां और मनोरंजन से जुड़ी सामग्री पेश करते हैं। सोशल मीडिया के जरिए वे उम्मीद करते हैं कि एक दिन उनकी किस्मत बदलेगी और उनका परिवार गरीबी से बाहर निकलेगा।
स्थानीय लोग कहते हैं कि सुमित के अंदर मेहनत और लगन है। सही मार्गदर्शन और मदद मिले तो यह युवा भीड़ से अलग अपनी पहचान बना सकता है।
स्थानीय संवाददाता ई खबर मीडिया की रिपोर्ट