उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में सामाजिक न्याय और समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, अब राज्य के सभी सरकारी विभागों और कार्यालयों में आउटसोर्स कर्मचारियों के चयन में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण का प्रावधान अनिवार्य किया गया है।
नए नियम की खास बातें:
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आरक्षण का लाभ: अब आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में SC, ST, OBC वर्ग को उनकी सरकार द्वारा निर्धारित प्रतिशत के अनुसार आरक्षण मिलेगा। इससे इन वर्गों के युवाओं को रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
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पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया: इस नियम के तहत भर्ती प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और जवाबदेह होगी। विभागों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आरक्षित वर्गों के लिए आरक्षण का ठीक से पालन किया जाए।
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सामाजिक समरसता को बढ़ावा: मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि यह निर्णय सामाजिक न्याय और समावेशन की भावना को मजबूत करने के लिए लिया गया है, जिससे हर वर्ग को सरकारी रोजगार में उचित स्थान मिले।
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भर्ती मानदंड: प्रत्येक विभाग के लिए न्यूनतम आरक्षण प्रतिशत तय किया गया है, और इसकी नियमित मॉनिटरिंग के लिए संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार बनाया गया है।
सरकार का उद्देश्य:
योगी सरकार का यह कदम खासकर उन वर्गों के लिए एक बड़ा अवसर है, जो पारंपरिक रूप से सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व रखते आए हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों के माध्यम से सरकार सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का भी प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा,
“हमारा लक्ष्य है कि समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिले और कोई भी वर्ग पिछड़ा न रहे। इस नीति से हम रोजगार के अवसरों को सभी तक पहुंचाएंगे।”
आने वाले समय में प्रभाव:
इस नियम के लागू होने के बाद यूपी में सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में आरक्षित वर्गों का प्रतिशत बढ़ेगा। इससे न केवल सामाजिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्ति होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।