प्रतापगढ़ (कुंडा)
विकास खण्ड कालाकांकर की ग्राम पंचायत मधवापुर में विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोपों ने अब नया मोड़ ले लिया है। सरकारी योजनाओं में अनियमितता की शिकायत करने वाले ग्राम निवासी बृजेश कुमार सरोज ने आरोप लगाया है कि जब भी जांच के लिए अधिकारी गांव में आते हैं, तो दोषियों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें ही मानसिक रूप से प्रताड़ित और धमकाया जाता है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि जांच के नाम पर गांव में आने वाले कुछ अधिकारी ग्राम प्रधान और पंचायत प्रतिनिधियों से मिलीभगत कर लेते हैं तथा शिकायत वापस लेने का दबाव बनाते हैं। बृजेश कुमार सरोज के अनुसार, उनसे कहा जाता है कि “बार-बार शिकायत करने का अंजाम ठीक नहीं होगा” और सरकारी काम में बाधा डालने के झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकी दी जाती है।
निष्पक्ष जांच पर उठे सवाल
शिकायतकर्ता का आरोप है कि इस तरह के व्यवहार से स्पष्ट होता है कि जांच केवल औपचारिकता बनकर रह गई है। इससे न केवल भ्रष्टाचार को संरक्षण मिल रहा है, बल्कि ईमानदार नागरिकों का प्रशासन से भरोसा भी टूट रहा है।
लोकायुक्त और उच्चाधिकारियों से सुरक्षा की मांग
बृजेश कुमार सरोज ने लोकायुक्त, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत कर यह मांग की है कि
पूरे प्रकरण की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच कराई जाए,
शिकायतकर्ता को कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए,
तथा जांच प्रक्रिया में दबाव या धमकी देने वाले अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि शिकायत करने वालों को ही डराया जाएगा, तो गांवों में व्याप्त भ्रष्टाचार कभी सामने नहीं आ पाएगा। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है।


