छपरा/अमनौर/मकेर।
सारण जिले की 25 वर्षीय पूजा देवी, जो अपनी 5 साल की बच्ची के साथ न्याय की तलाश में दर-दर भटक रही है, अब पूरी तरह टूट चुकी हैं। पति, ससुर और ननद पर दहेज प्रताड़ना, गहना छीनने, मारपीट और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाने वाली पूजा को न तो ससुराल ने सहारा दिया, न ही मायके ने। यहां तक कि पंचायत में भी उनकी बात सुनी नहीं गई।
पूजा देवी ने पति श्रवण महतो उर्फ श्रवण कुमार और उसके परिवार के खिलाफ अदालत व थाने—दोनों जगह शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अब तक किसी स्तर पर उन्हें न्याय नहीं मिला है।
पति की प्रताड़ना: मोटरसाइकिल की मांग, मारपीट और घर से निकालना
पूजा की शादी 20 अक्टूबर 2015 को हुई थी। आरोप है कि शादी के कुछ साल बाद ही पति और ससुराल पक्ष वाले उस पर दहेज में मोटरसाइकिल लाने का दबाव बनाने लगे।
पूजा का कहना है—
“पति रोज मारते-पीटते थे और कहते थे कि मायके से मोटरसाइकिल लेकर आओ, नहीं तो घर में रहने नहीं देंगे।”
“हमारा मायका बहुत गरीब है। वहां से दहेज क्या मिलेगा? यही कहने पर लाठी-डंडे से पीटते थे।”
“गाली-गलौज करते, खाने तक को नहीं देते।”
स्थिति इतनी बिगड़ी कि पूजा को अपना कसटूरी गहना बेचकर गुजारा करना पड़ा, पर जब उसने अपने गहनों का हिसाब मांगा तो पति और ज्यादा हिंसक हो गया।
बच्ची को लेकर कहां जाएं?
पूजा अपनी 5 साल की बेटी के साथ कभी मायके, कभी पंचायत, कभी थाना और अब कोर्ट के चक्कर काट रही हैं।
लेकिन उनका कहना है—
“ससुराल ने निकाल दिया, मायके ने हाथ खड़े कर दिए… बच्ची को लेकर मैं कहां जाऊं?”
पूजा बताती हैं कि मायके के लोग भी गरीबी और सामाजिक दबाव के कारण साथ नहीं दे पा रहे हैं। वे मायके में भी सुरक्षित नहीं हैं।
पंचायत भी नहीं बना सहारा
पूजा शिकायत लेकर गांव के प्रधान और पंचायत में गईं, लेकिन वहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई।
उनके मुताबिक—
“प्रधान जी ने भी कहा कि घर-गृहस्थी का मामला है, समझ-बुझ कर निपटा लो। लेकिन मैं रोज पिटती हूँ, बच्ची के सामने गंदी गाली दी जाती है, मैं कैसे निपटाऊं?”
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी ने पीड़िता को और निराश किया है।
अदालत और थाना—दोनों जगह मामला
पूजा ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, छपरा की अदालत में परिवाद पत्र संख्या 2478/2023 के रूप में केस दर्ज कराया है।
आरोपी हैं—
1. श्रवण महतो उर्फ श्रवण कुमार
2. भोला महतो
3. जिरा देवी
4. रीता देवी
(सभी निवासी नरसिंह भानपुर, थाना अमनौर)
मामला धारा 341, 323, 379, 498A, 494/34 भादवि तथा 3/4 दहेज निषेध अधिनियम के अंतर्गत दर्ज हुआ है।
इसके अलावा पूजा ने मकेर थाना, प्यारण में भी आवेदन दिया है, जिसमें उन्होंने विस्तृत रूप से अपनी प्रताड़ना का जिक्र किया है।
पुलिस कहती है—जांच जारी, लेकिन पीड़िता निराश
थाना पुलिस ने आवेदन मिलने की पुष्टि की है और बताया है कि जांच शुरू है।
लेकिन पूजा कहती हैं—
“दो साल से दर-दर जा रही हूँ, अब तक कहीं कोई सुनवाई नहीं… डर है कि मैं और मेरी बच्ची कहीं खत्म न कर दी जाए।”
पूजा की हालत लगातार खराब हो रही है। आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से वह बुरी तरह टूट चुकी है।
पूजा की अंतिम गुहार
पूजा की मांग बस इतनी है—
“मेरी और मेरी बच्ची की सुरक्षा हो, पति और ससुराल वालों पर कठोर कार्रवाई हो, ताकि हम दोनों की जिंदगी बच सके।”
पूजा का दर्द यह सवाल छोड़ जाता है कि जब एक महिला ससुराल, मायका, पंचायत और प्रशासन—चारों दरवाज़ों पर दस्तक दे चुकी हो, फिर भी न्याय न मिले तो वह अपनी बच्ची को लेकर आखिर कहां जाए?
