Friday, October 17, 2025
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आतंकवाद पर दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं’, चीन में SCO सम्मेलन में पीएम मोदी का संबोधन

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के त्येनजिन शहर में आयोजित हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। पीएम मोदी ने सोमवार को SCO सम्मेलन के सत्र को संबोधित किया है और कई अहम मुद्दों पर बात की है।चीन के त्येनजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दूसरे दिन प्लेनरी सेशन हो रहा है। SCO राष्ट्रध्यक्षों की 25वीं बैठक के बाद साझा घोषणापत्र जारी किया जाएगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया है और आतंक के खिलाफ भारत के सख्त रुख को दोहराया है। पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद पर दोहरा मापदंड किसी भी देश को स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी अपने संबोधन में किन मुद्दों पर बात की है।

पीएम मोदी ने बताया SCO का मतलब
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 34 वर्षों से एससीओ को पूरे यूरेशिया को जोड़ने में अहम योगदान रहा है। भारत ने SCO के सक्रिय सदस्य देश के तौर पर सकारात्मक भूमिका निभाई है। SCO को लेकर भारत की सोच 3 मुख्य स्तंभों पर आधारित है। S- सिक्योरिटी, C- कनेक्टिविटी, O- अपोर्चुनिटी।

आतंकवाद पूरी मानवता के लिए साझा चुनौती- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि “सिक्योरिटी को लेकर कहा कि सुरक्षा शांति और स्थिरता किसी भी देश के विकास का आधार है। लेकिन इसकी राह में आतंकवाद, अलगाववाद, अतिवाद बड़ी चुनौती है। आतंकवाद किसी देश की सुरक्षा ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए साझा चुनौती है। कोई भी देश इससे खुद को सुरक्षित नहीं समझ सकता। पीएम मोदी ने चीन में हो रहे SCO सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा- “भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है। हाल ही में, हमने पहलगाम में आतंकवाद का सबसे बुरा रूप देखा। मैं उस मित्र देश के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ जो दुःख की इस घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहा।”

पीएम मोदी ने कहा कि “भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकता पर ज़ोर दिया है। भारत ने संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व करके अल-कायदा और उससे जुड़े आतंकवादी संगठनों से लड़ने की पहल की…हमने आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई। इसमें आपके सहयोग के लिए मैं आभार व्यक्त करता हूं।”

आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं
पीएम मोदी ने साफ तौर पर कहा- “हमें स्पष्ट रूप से और एकमत से कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई भी दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है। पहलगाम हमला मानवता में विश्वास रखने वाले प्रत्येक देश और व्यक्ति के लिए एक खुली चुनौती थी। ऐसे में, यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद का खुला समर्थन हमें स्वीकार्य हो सकता है। हमें हर रूप और रंग के आतंकवाद का सर्वसम्मति से विरोध करना होगा। मानवता के प्रति यह हमारा कर्तव्य है।”

कनेक्टिविटी के मुद्दे पर बोले पीएम मोदी
चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) की बैठक में पीएम मोदी ने कनेक्टिविटी के मुद्दे पर कहा कि संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी विश्वास और अर्थ खो देती है। उन्होंने कहा कि “भारत का हमेशा से मानना ​​रहा है कि मज़बूत कनेक्टिविटी न केवल व्यापार को बढ़ावा देती है, बल्कि विकास और विश्वास के द्वार भी खोलती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, हम चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी पहलों पर काम कर रहे हैं। इससे हमें अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।”

हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की- पीएम मोदी
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- “आज Reform, Perform and Transform के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है। हमने हर चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश की है। मैं आप सभी को भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं।”

पुतिन और पीएम मोदी की होगी मुलाकात
SCO समिट में आज फिर दो महाशक्तियों की मीटिंग होने जा रही है। त्येनजिन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात होगी। सुबह पौने 10 बजे से दोनों के बीच 45 मिनट तक द्विपक्षीय बैठक होगी। पीएम मोदी और पुतिन के बीच आपसी संबंध, कारोबार और यूक्रेन युद्ध पर चर्चा हो सकती है। पूरी दुनिया की निगाहें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली द्विपक्षीय बातचीत पर है। अमेरिकी टैरिफ का मुद्दा भी दोनों नेताओं की बातचीत के सेंटर में हो सकता है।

यूक्रेन युद्ध पर होगी चर्चा
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम मोदी की चीन यात्रा से ठीक पहले उनसे फोन पर बात की थी। उस बातचीत में जेलेंस्की ने फौरन सीजफायर की अपील की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि पुतिन के साथ बातचीत में पीएम मोदी इस बात पर जोर डाल सकते हैं कि इस मामले का कूटनीतिक समाधान निकालते हुए शांति की बातचीत शुरू की जाए।

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