Friday, December 5, 2025
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HomeNationalभिंड/गाज़ियाबाद – गंभीर पारिवारिक और कानूनी विवाद ने पकड़ा तूल

भिंड/गाज़ियाबाद – गंभीर पारिवारिक और कानूनी विवाद ने पकड़ा तूल

भिंड जिले के युवक रवि गोस्वामी और उनकी पत्नी अमृता (निवासी – गाज़ियाबाद) के बीच चल रहे विवाद ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। मामला न केवल दोनों परिवारों के टकराव तक सीमित है, बल्कि इसमें पुलिस की कथित दबावपूर्ण कार्रवाई और जान से मारने की धमकियों के आरोप भी शामिल हैं।

रवि गोस्वामी का कहना है कि उनकी और अमृता की शादी लगभग पाँच महीने पहले मंदिर में हुई थी, और अमृता उस समय 18 वर्ष की थीं। रवि का दावा है कि वह अमृता को करीब 14 साल से जानते हैं और दोनों ने अपनी सहमति से विवाह किया। रवि के अनुसार, अमृता अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध अपने पति के साथ रहना चाहती हैं।

रवि आरोप लगाते हैं कि अमृता के माता-पिता ने शादी के बाद से ही दोनों को अलग कराने की कोशिश की है। उनका कहना है कि पुलिस ने भी उन पर दबाव बनाया, यहाँ तक कि उन्हें धमकाया गया कि यदि उन्होंने कोई कार्रवाई की, तो उन्हें उल्टे ही किसी मामले में फंसा दिया जाएगा।

रवि का यह भी आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें धमका-धमकाकर कागज़ात पर साइन करवाए हैं, जिनका इस्तेमाल बाद में उनके विरुद्ध किया जा सकता है।

रवि ने यह भी दावा किया कि अमृता के माता-पिता 1 तारीख को अमृता की दूसरी शादी कराने की तैयारी में हैं, जबकि अमृता स्वयं ऐसा नहीं चाहती। रवि के अनुसार, अमृता और उन्हें दोनों को जान से मारने की धमकी भी मिल रही है।

उधर, अमृता के परिवार की ओर से इस पूरे मामले पर किसी प्रकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है।

पुलिस का कहना है कि उन्हें परिवार की शिकायत मिली है और मामले की जांच की जा रही है।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि विवाह विधिक उम्र और दोनों की सहमति से हुआ है, तो शादी वैध मानी जाती है। वहीं किसी भी व्यक्ति पर पुलिस द्वारा अनुचित दबाव, धमकी या ज़बरदस्ती करवाना अवैध है, और इसके खिलाफ पीड़ित उच्च अधिकारियों, न्यायालय, महिला आयोग या मानवाधिकार आयोग से शिकायत कर सकता है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ऐसे मामले अत्यंत संवेदनशील होते हैं—जहाँ परिवारिक मतभेद, सुरक्षा और कानूनी अधिकार तीनों एक साथ जुड़े होते हैं।
इस स्थिति में महिला की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता मानी जाती है, और स्थानीय महिला आयोग तथा सुरक्षा एजेंसियों को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की ज़बरदस्ती या हिंसा की आशंका को रोका जा सके।

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