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फर्जी दस्तावेज पर कोटवार नियुक्ति का आरोप — ग्राम भदरपाली में 8 साल से न्याय की गुहार, सुनवाई शून्य

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विशेष रिपोर्ट | महासमुन्द से बड़ी खबर

महासमुन्द/बसना | विशेष संवाददाता

जिला महासमुन्द के ग्राम भदरपाली में कोटवारी पद को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। शिकायतकर्ता मोतीराम चौहान ने तहसीलदार बसना व जिला प्रशासन को कई बार शिकायतें देने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं होने का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि उनके पिता स्व. रजउ चौहान जीवनकाल में कोटवार थे और परंपरागत रूप से यह पद उनके परिवार को ही मिलना चाहिए था, लेकिन फर्जी कागज़ों का सहारा लेकर रमला बेवा वरूण सिंह को कोटवार नियुक्त कर दिया गया।

मोतीराम का आरोप है कि कोटवार नियुक्ति के समय रमला ने अपने ससुर गजाधर को जीवित होते हुए भी मृत दिखा दिया, और ऋण पत्रों व प्रस्तुत प्रमाणों में बालिग व्यक्तियों को नाबालिग दर्शाकर गंभीर फर्जीवाड़ा किया गया। बताया गया कि वरूण सिंह की मृत्यु 01 नवम्बर 2012 को हुई थी, जबकि गजाधर की मृत्यु 17 जुलाई 2019 को, लेकिन कागज़ों में उल्टा दर्ज कर चुनाव प्रक्रिया में गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए।

शिकायतकर्ता के अनुसार, समस्त ग्रामवासियों के हस्ताक्षर, स्कूल दाखिल-खारिज प्रमाणपत्र, बी-1 खसरा, वंशावली पंचनामा, और 1929-30 की मिशल सहित कई सबूत प्रशासन को सौंपे गए, मगर प्रशासन द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब शिकायतकर्ता बार-बार कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन आठ वर्षों से सुनवाई नहीं हो रही है।

मोतीराम ने कहा —

“हमने तहसीलदार से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक दर्जनों आवेदन दिए, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला। फर्जी दस्तावेजों से सरकारी पद हथियाया गया है और प्रशासन आंख बंद कर बैठा है।”

ग्रामीणों का भी कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि न्याय बहाल हो सके।

शिकायतकर्ताओं ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि—

1. कोटवारी नियुक्ति में हुए फर्जीवाड़े की जांच की जाए

2. रमला बेवा वरूण सिंह को पद से हटाकर कानूनी कार्रवाई की जाए

3. कोटवारी पद वैधानिक उत्तराधिकारियों को दिया जाए

ग्रामीणों व शिकायतकर्ता ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

बसना से रिपोर्ट | जन मुद्दों की आवाज

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