Sunday, October 26, 2025
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वैशाली गाज़ियाबाद में बच्ची व पिता पर जानलेवा हमला, पुलिस पर पक्षपात का आरोप

वैशाली (गाज़ियाबाद)। वैशाली सेक्टर-3 में एक गंभीर मारपीट की घटना सामने आई है। पीड़ित पंकज कुमार और उनकी बेटी शीतल सिंह ने आरोप लगाया है कि 18 अक्टूबर 2025 की रात करीब 10:55 बजे उनके साथ जानलेवा हमला किया गया।

पीड़ितों के अनुसार, आरोपी प्रीति और अर्जुन, जो मकान नंबर 729 में रहते हैं, ने उन पर हमला किया, जिससे शीतल सिंह के सिर में गंभीर चोटें आईं। घटना के बाद परिजनों ने कोसंबी थाना में मामला दर्ज कराया, लेकिन पीड़ित परिवार का आरोप है कि धारा 307 (जान से मारने की कोशिश) के तहत एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने आरोपी को छोड़ दिया।

पंकज कुमार ने बताया कि “हमारी ओर से कोई समझौता या रजीनामा नहीं किया गया, फिर भी पुलिस ने अभियुक्तों को रिहा कर दिया। जब हमने एफआईआर की कॉपी मांगी, तो हमें थाने के चक्कर लगवाए गए। अंत में हमें मीडिया का सहारा लेना पड़ा।”

वर्तमान में शीतल सिंह की हालत नाज़ुक बताई जा रही है। परिजनों ने पुलिस प्रशासन और उच्च अधिकारियों से शीघ्र कार्रवाई की मांग की है ताकि आरोपियों को सख्त सज़ा मिल सके।

वैशाली में पिता-बेटी पर जानलेवा हमला, घायल शीतल की हालत गंभीर – पुलिस पर पक्षपात के आरोप से भड़के परिजन

गाज़ियाबाद। वैशाली सेक्टर-3 की शांत गलियों में 18 अक्टूबर 2025 की रात उस समय अफरातफरी मच गई जब पंकज कुमार और उनकी बेटी शीतल सिंह पर अचानक जानलेवा हमला कर दिया गया। बताया जा रहा है कि घटना रात करीब 10:55 बजे हुई, जब दोनों घर पर मौजूद थे।

आरोप है कि मकान नंबर 729 में रहने वाले प्रीति और अर्जुन ने पंकज कुमार और शीतल सिंह के साथ मारपीट की, जिसमें शीतल सिंह के सिर में गंभीर चोटें आईं। पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्होंने तुरंत कोसंबी थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई और धारा 307 (जान से मारने की कोशिश) के तहत एफआईआर हुई, लेकिन इसके बाद पुलिस ने आरोपी को रिहा कर दिया।

पंकज कुमार का आरोप है कि—

“हमारी तरफ़ से कोई रजीनामा नहीं हुआ, फिर भी पुलिस ने अभियुक्तों को छोड़ दिया। जब हमने एफआईआर की कॉपी मांगी, तो हमें बार-बार थाने के चक्कर लगवाए गए। अंत में मजबूर होकर हमें मीडिया की शरण लेनी पड़ी।”

इस घटना से इलाके में आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोग पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं, घायल शीतल सिंह की हालत अब भी नाज़ुक बताई जा रही है और वह उपचाराधीन है।

परिजनों ने गाज़ियाबाद पुलिस कमिश्नर और उत्तर प्रदेश के डीजीपी से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएंगे।

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