भारत और न्यूजीलैंड के बीच वनडे वर्ल्ड कप 2023 का पहला सेमीफाइनल 15 नवंबर यानी बुधवार को खेला जाएगा। इस वर्ल्ड कप में भारत ने लीग मैच में न्यूजीलैंड को हराया है, लेकिन मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में कीवी टीम का सामना करना बिलकुल ही अलहदा चैलेंज होगा।
यहां बल्लेबाजों के साथ-साथ सीम और स्विंग कराने वाले गेंदबाजों को भी खूब मदद मिलती है, वहीं दूसरी पारी में फ्लड लाइट के बीच नई बॉल का सामना करना बेहद मुश्किल हो सकता है।
वर्ल्ड क्लास बॉलर्स और बल्लेबाजों से लैस न्यूजीलैंड टीम भारत के लिए मुंबई के मैदान पर चुनौती पेश कर सकती है। इसमें रचिन रवींद्र, मिचेल सैंटनर और ट्रेंट बोल्ट भारतीय टीम के लिए बड़ा चैलेंज होंगे।
दोनों टीमों की मौजूदा फॉर्म और मुंबई के कंडीशन लिहाज से सेमीफाइनल में भारतीय टीम की स्ट्रैटजी क्या हो सकती है यह हम डीकोड करने की कोशिश करेंगे।
1. पहले बैटिंग करना फायदेमंद
वानखेड़े के मैदान पर टॉस जीतना अहम है। यहां पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम फायदे में रहती है। यह इस वर्ल्ड कप के 4 में से 3 मैच पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने ही जीते हैं।
साउथ अफ्रीका ने इंग्लैंड के खिलाफ बैटिंग करते हुए इसी मैदान पर 399 का स्कोर बनाया था। इस वर्ल्ड कप में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने औसतन 357 रन बनाए है, जबकि दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने वाली टीम औसतन 188 रन ही बना सकी है। भारत ने इस वर्ल्ड कप में श्रीलंका के खिलाफ इसी मैदान पर 357 रन बनाए थे और श्रीलंका को 55 रन पर समेट दिया था।
2. चेज किया तो शुरुआती 15 ओवर होंगे अहम
वानखेड़े के मैदान पर चेज करने की स्थिति में पहले 15 ओवर संभलकर खेलना होगा। इसका मुख्य कारण यह है कि नई गेंद रात में लाइट्स के नीचे लंबे समय तक ज्यादा स्विंग और सीम करती है। भारत ने श्रीलंका के खिलाफ सीम और स्विंग के आधार पर ही पावरप्ले में 6 विकेट निकाले थे, वहीं साउथ अफ्रीका ने इंग्लैंड और बांग्लादेश के खिलाफ क्रमश: चार और तीन विकेट हासिल किए। इस मैदान पर हुए 4 मैचों में चेज करते हुए टीमों ने पावरप्ले में कुल 40 में से 17 विकेट गंवाए हैं, जबकि पहले बल्लेबाजी करते हुए यह आंकड़ा 5 विकेट ही है।
इस वर्ल्ड कप में इकलौता सफल चेज इस मैदान पर ग्लेन मैक्सवेल ने ही किया है। उस समय ऑस्ट्रेलिया ने भी अफगानों के सामने 4 विकेट दे दिए थे। मैक्सवेल ने शुरुआती ओवर्स में धैर्य बनाए रखा और फिर बड़े शॉट्स खेल कर दोहरा शतक लगाया और जीत हासिल की। शुरुआती 15 ओवर में विकेट नहीं गंवाने पर चेज करना आसान हो जाएगा।
3. न्यूजीलैंड के पांचवें और छठे बॉलर पर प्रेशर बनाना
न्यूजीलैंड के पास भारत की तुलना में गेंदबाजी के ज्यादा विकल्प हैं, लेकिन केवल चार ही फुल टाइम स्पेशलिस्ट बॉ़लर हैं। न्यूजीलैंड की टूर्नामेंट में सफलता के सबसे बड़े कारणों में से एक उनका 5वें और छठे बॉलर का विकेट निकालना है।
ग्लेन फिलिप्स और रचिन रवींद्र पर 5वें और छठे बॉलर की जिम्मेदारी है। ग्लेन फिलिप्स ने ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिडिल ओवर्स में डेविड वॉर्नर और ट्रैविस हेड के अहम विकेट निकाल कर 175 रन की साझेदारी को तोड़ा था। हालांकि, न्यूजीलैंड फिलिप्स की तुलना में लेफ्ट आर्म बॉलर रचिन रवींद्र को ज्यादा आजमाएगा, क्योंकि भारत के लाइनअप में टॉप 6 प्लेयर राइट हैंडर्स हैं।
भारतीय बल्लेबाजों को इन 2 प्लेयर्स के सामने बड़े ओवर्स निकाल कर कीवियों पर प्रेशर बनाना होगा। 5वें स्पेशलिस्ट बॉलर की कमी के कारण टॉस हारने की स्थिति में भी भारत को अटैक करने का भरपूर मौका मिलेगा।
4. बोल्ट और सैंटनर को विकेट न देना
भारत को ट्रेंट बोल्ट और मिचेल सैंटनर के सामने सावधानी से खेलकर विकेट बचाने होंगे। सैंटनर इस वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के टॉप विकेट टेकर है। सैंटनर ने अपने वनडे करियर में सबसे ज्यादा 22 मुकाबले भारत के खिलाफ ही खेले हैं।इस वर्ल्ड कप उनके 16 विकेट में से 15 दाएं हाथ के बल्लेबाज रहे हैं। भारत के पास नंबर 7 से पहले कोई बाएं हाथ का बल्लेबाज नहीं है।
दूसरी ओर, ट्रेंट बोल्ट हमेशा से भारत के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती रहे हैं। लेफ्ट आर्म पेसर के सामने भारतीय खिलाड़ी हमेशा जूझते नजर आए हैं। बोल्ट ने 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में विराट कोहली को LBW किया था और 77 रन बनाने वाले रवींद्र जडेजा का विकेट लेकर न्यूजीलैंड को वापसी दिलाई थी।
इन 2 प्लेयर्स के सामने भारतीय बैटर्स को विकेट बचाना होगा, नहीं तो ग्लेन फिलिप्स और रचिन रवींद्र भी बॉलिंग में चुनौती बनकर उभरेंगे।