आज दिनांक 20.03.2024 को डीपीबीएस कॉलेज, अनूपशहर में प्राचार्य प्रोफेसर जी के सिंह की अध्यक्षता में वैश्विक पर्यावरणीय परिदृश्य भूत, वर्तमान एवं भविष्य विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का प्रारंभ माँ वागेश्वरी के समक्ष प्राचार्य एवं अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवल एवं पुष्पर्चन से हुआ। संगोष्ठी के प्रथम सत्र में बीज वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय से पधारे प्रोफेसर पुष्पेंद्र कुमार ने आंतरिक पर्यावरण को शुद्ध करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी को कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए ,रात्रि के समय फोन को स्विच ऑफ कर देना चाहिए और अपने घर एवं कार्यालय में कम से कम ऊर्जा की खपत को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक पांच तत्व दूषित हैं तब तक हमारा शरीर भी दूषित ही रहेगा। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हम अंबिकापुर से सीख कर वेस्ट टू बेस्ट की ओर बढ़ सकते हैं। सत्र के दूसरे वक्ता के रूप में एस के पाल प्रोजेक्ट एसोसिएट वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून ने पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से गंगा के प्रदूषित होने एवं गंगा में पाई जाने वाली विशिष्ट प्रजातियों के संरक्षण के बारे में सविस्तार जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गंगा संरक्षण देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है और यह सामुदायिक भागीदारी से ही हल हो सकता है। डी ए वी कॉलेज , बुलंदशहर के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर राजेश गर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी संस्कृति में प्राचीन काल से ही वृक्षों का महत्व रहा है ,सागर मंथन से निकलने वाले रत्नों में कल्पवृक्ष का होना इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। उन्होंने अपने उद्बोधन में महात्मा गांधी को भारत का पहला पर्यावरण चिंतक सिद्ध किया उन्होंने कहा कि गांधी जी का न्यूनतम खपत और अधिकतम साझेदारी का सिद्धांत टाइम्स मैगजीन ने भी अक्षरस: स्वीकार किया है।
इसके उपरांत प्रोफेसर यू के झा ने अपने उद्बोधन में गरीबी को पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण सिद्ध किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एक वैश्विक मुद्दा है और समूचे विश्व को मिलकर इससे निपटना चाहिए । इसके उपरांत प्रोफेसर चंद्रावती ने अपने उद्बोधन में ग्रीन हाउस गैसों की उपयोगिता को रेखांकित किया ।उन्होंने कहा कि सरकार ने बहुत हद तक हानिकारक गैसों के उत्पादन में कमी की है ।उन्होंने बताया कि अमेजॉन के जंगल समूचे विश्व के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराता है न कि केवल अफ्रीका के लिए। इसके उपरांत प्रोफेसर एस पी एस यादव ने गंगा को जीवन देने वाली नदी बताया उन्होंने कहा कि हमें अपना सर्वोत्तम प्रयास पर्यावरण संरक्षण हेतु करना चाहिए सत्र के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर जी के सिंह ने पर्यावरण संरक्षण हेतु महाविद्यालय में उनके द्वारा उठाए गए कदमों को बताते हुए वाटर हार्वेस्टिंग करने की योजना पर बल दिया उन्होंने कहा कि हमें पर्यावरण के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। उन्होंने प्रकृति के संरक्षण हेतु आचरण की शुद्धता पर बल दिया। इसके साथ उन्होंने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन भी किया। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी के संयुक्त सचिव डॉक्टर तरुण श्रीवास्तव ने किया। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर रुचिका जैन ने की इस सत्र में श्री याजवेंद्र कुमार ,श्री आलोक कुमार तिवारी एवं शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र पढ़े। इस संगोष्ठी के सचिव प्रोफेसर पी के त्यागी रहे। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में प्राध्यापक, शोधार्थी एवं छात्र उपस्थित रहे।