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इजरायल के खुफिया एजेंटों का बड़ा खुलासा, साझा की गोपनीय अभियान की जानकारी

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इजरायल ने कुछ महीनों पहले पेजर विस्फोट कर हिजबुल्लाह के आतंकियों को निशाना बनाया था। अब पहली बार इजरायली सेवानिवृत्त खुफिया एजेंटों ने बताया है कि उन्होंने कैसे इसकी प्लानिंग की थी।
वाशिंगटन: हाल में सेवानिवृत्त हुए इजरायल के दो वरिष्ठ खुफिया एजेंटों ने एक बेहद गोपनीय अभियान के बारे में नई जानकारी साझा की की है। खुफिया एजेंटों ने बताया कि कैसे लेबनान और सीरिया में करीब तीन महीने पहले हिजबुल्लाह के आतंकियों को ‘पेजर’ और ‘वॉकी टॉकी’ में विस्फोट कर निशाना बनाया गया था। रविवार रात को प्रसारित सीबीएस ‘60 मिनट्स’ कार्यक्रम के एक हिस्से में एजेंटों ने बात की। उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए मास्क पहने थे और उनकी आवाज बदली हुई थी।

हिजबुल्लाह को भनक तक नहीं थी
एक एजेंट ने बताया कि यह अभियान 10 साल पहले गोपनीय तरीके से छिपाकर लगाए गए विस्फोटकों से युक्त ‘वॉकी-टॉकी’ के इस्तेमाल के जरिए शुरू किया गया था, जिसके बारे में हिजबुल्लाह को पता नहीं था कि वह अपने दुश्मन इजरायल से खरीद रहा है। ‘वॉकी-टॉकी’ में सितंबर तक विस्फोट नहीं किया गया था, लेकिन बम से भरे पेजर में विस्फोट की घटना के बाद ‘वॉकी-टॉकी’ में भी विस्फोट कर दिया गया।

की गई थी पूरी प्लानिंग
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने एक काल्पनिक दुनिया रची, जिसका नाम ‘‘माइकल’’ रखा गया।’’ दूसरे अधिकारी ने बताया कि योजना के दूसरे चरण में पेजर का इस्तेमाल किया गया था और इस योजना पर 2022 में काम शुरू हुआ था, जब इजरायल की मोसाद खुफिया एजेंसी को पता चला कि हिजबुल्लाह ताइवान की एक कंपनी से पेजर खरीद रहा है। उन्होंने बताया कि पेजर को थोड़ा बड़ा बनाना पड़ा ताकि अंदर छिपे विस्फोटकों को रखा जा सके। विस्फोटक की सही मात्रा का पता लगाने के लिए कई बार डमी पर उनका परीक्षण किया गया, ताकि सिर्फ हिजबुल्लाह के लड़ाकों को ही नुकसान पहुंचे, ना कि उसके आसपास मौजूद किसी और को।
एजेंट ने क्या कहा?
मोसाद ने कई ‘रिंग टोन’ का परीक्षण किया ताकि ऐसी ‘रिंग टोन’ ढूंढी जा सके जो इतनी जरूरी लगे कि कोई व्यक्ति अपनी जेब से पेजर निकाल ले। ‘गैब्रियल’ नाम के दूसरे एजेंट ने कहा कि हिजबुल्लाह को भारी पेजर को लेने के लिए राजी करने में दो सप्ताह लग गए। कुछ हद तक इसके लिए यूट्यूब पर गलत विज्ञापनों का उपयोग करके उपकरणों को धूलरोधी, जलरोधी, लंबी बैटरी जीवन प्रदान करने वाले और अन्य के रूप में प्रचारित किया गया। गैब्रियल ने इस खुफिया योजना की तुलना 1998 की एक मनोवैज्ञानिक फिल्म से की, जो एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जिसे इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि वह एक झूठी दुनिया में जी रहा है और उसके परिवार एवं दोस्त बस अभिनेता मात्र हैं जिन्हें उसकी झूठी दुनिया के भ्रम को बनाए रखने के लिए भुगतान किया जाता है।

हर चीज पर थी नजर
गैब्रियल ने कहा, ‘‘जब वो हमसे खरीद रहे होते थे, तो उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता था कि वो मोसाद से खरीद रहे हैं। हम ‘ट्रूमैन शो’ की तरह काम करते हैं, पर्दे के पीछे से सबकुछ हम ही नियंत्रित करते हैं। वहीं, उन्हें सबकुछ सामान्य अनुभव होता है। व्यवसायी, मार्केटिंग, इंजीनियर, शोरूम सहित सब कुछ 100 प्रतिशत सही था। नतीजतन, सितंबर तक हिजबुल्लाह के आतंकवादियों की जेबों में 5,000 पेजर थे।’’

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