भोपाल: सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 19 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति मामले में सजा सुनाई है। एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी, उनके परिवार के पांच सदस्यों और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) को यह सख्त सजा हुई है। जज अरविंद कुमार शर्मा ने भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व सहायक महाप्रबंधक जितेंद्र प्रताप सिंह को तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। उन पर 32,22,250 रुपए का जुर्माना लगाया।
जुर्माना नहीं भरने पर तीन महीने की और होगी जेल
वहीं, अगर वह जुर्माना नहीं भरते हैं तो उन्हें तीन महीने और जेल में बितानी होगी। राशि वसूलने के लिए उनकी संपत्तियां बेचीं जाएंगी। उनकी पत्नी किरण सिंह, बेटियां अन्वेषा, गरिमा और नम्रता सिंह, दामाद समीर सिंह और एक सीए को एक-एक साल की कैद है। साथ ही 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
2005 में हुई थी शिकायत
इन सभी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की धारा 109 (अपराध के लिए उकसाना) के तहत दोषी ठहराया गया था। यह शिकायत जितेंद्र के खिलाफ 2005 में दर्ज की गई थी। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई की भोपाल स्थित भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने जितेंद्र के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
आय से अधिक संपत्ति का मामला निकला
जांच के दौरान सिंह के आवास से ‘चल-अचल संपत्तियों, सोने-चांदी के आभूषणों और कई बैंक खातों के दस्तावेज’ मिले थे। केंद्रीय एजेंसी ने 2007 में एक चार्जशीट दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जितेंद्र ने 1 जनवरी, 1999 और 2 अप्रैल, 2005 के बीच लगभग 37,13,113 रुपये की संपत्ति अर्जित की थी। अदालत ने कहा कि ये संपत्तियां बैंक अधिकारी, उनकी पत्नी और बेटियों के नाम पर एसबीआई की विभिन्न शाखाओं में फर्जी खातों के माध्यम से जमा की गई थीं।
94 गवाह पेश हुए
ट्रायल के दौरान, अभियोजन पक्ष ने 94 गवाह पेश किए, जबकि बचाव पक्ष ने 15 गवाह पेश किए। विशेष अदालत ने यह निर्धारित किया कि जितेंद्र ने 32,22,253 रुपए से अधिक की संपत्ति अवैध रूप से अर्जित की थी, जो ‘इस अवधि के दौरान उनकी वैध आय से काफी अधिक थी’। अदालत ने जितेंद्र को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2), धारा 13(1)(ई) के साथ पढ़ी जाने पर, का उल्लंघन करने का दोषी पाया।