भोपाल। भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी वर्ष पर राजधानी भोपाल दो दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव की मेजबानी कर रही है। नृत्यधाम संस्था, भुवनेश्वर द्वारा आयोजित यह पुण्यस्मरण कार्यक्रम 3 और 4 दिसंबर को रविंद्र भवन और गौरांजनी सभागार में शाम 6 से रात 9 बजे तक आयोजित होगा। देशभर से आ रहे कवि, कलाकार और जनप्रतिनिधि इसे खास बनाएंगे।
पहला दिन: दिग्गजों की उपस्थिति
महोत्सव के पहले दिन मुख्य अतिथि होंगे विधायक रामेश्वर शर्मा। विशिष्ट अतिथि के रूप में पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, उप संचालक संस्कृति संचालनालय पूजा शुक्ला और सारस्वत अतिथि गौकुल सोनी शामिल होंगे।
कार्यक्रम में अटलजी के जीवन, संघर्ष और काव्य पर आधारित विशेष प्रस्तुतियों का आयोजन होगा। इनमें उनके व्यक्तित्व, राष्ट्रभक्ति और संवेदनशील कवि हृदय को मंच पर सजीव रूप में पेश किया जाएगा।
दूसरा दिन: साहित्य और संस्कृति का संगम
दूसरे दिन कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे विधायक भगवानदास सबनानी। अध्यक्षता प्रो. खेमसिंह डेहरिया करेंगे। विशिष्ट अतिथियों में डॉ. नुसरत मेहंदी और डॉ. साधना बलवटे शामिल रहेंगी, जबकि सारस्वत अतिथि के रूप में डॉ. आलोक चौबे मौजूद रहेंगे।
देशभर के कवि देंगे प्रस्तुति
कार्यक्रम में कई जाने-माने कवि प्रस्तुति देंगे, जिनमें सत्यदेव ‘सत्य’, डॉ. प्रतिभा द्विवेदी, डॉ. प्रार्थना पंडित, कुमार चंदन, अनूप द्यामाने और बालकवि अर्थव सोनी प्रमुख हैं। इनकी रचनाएं अटलजी के व्यक्तित्व, राष्ट्रवाद और काव्यधारा को केंद्र में रखेंगी।
अटलजी की जीवनगाथा पर विशेष प्रदर्शनी
वरिष्ठ चित्रकार राज सैनी द्वारा तैयार विशेष प्रदर्शनी महोत्सव का बड़ा आकर्षण होगी। इसमें अटलजी के जीवन, राजनीतिक सफर और विचारधारा से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों को चित्रों और दस्तावेजों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां रहेंगी खास
मंच पर ओडिसी और शास्त्रीय नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां होंगी।
नृत्यधाम भुवनेश्वर के कलाकार ओडिसी नृत्य प्रस्तुत करेंगे।
संघ रत्ना बानकर और संघमित्रा तायवाडे शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत करेंगी।
बुंदेली लोकगायन की प्रस्तुति ऋषि विश्वकर्मा देंगे।
दीपान्वीता पावी और तनिसा पाठी समूह नृत्य प्रस्तुति देंगी।
कार्यक्रम की सचिव डॉ. सुभाश्री पटनायक और संयोजक सतीश पुरोहित ने बताया कि यह आयोजन अटलजी की स्मृतियों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि अटलजी भारतीय राजनीति के साथ-साथ साहित्य और संस्कृति की दुनिया में भी अमिट छाप छोड़कर गए हैं, जिन्हें समझना और याद रखना नए भारत के लिए जरूरी है।
स्थानीय संवाददाता, ई खबर मीडिया


