रिपोर्ट: कंचन, संवाददाता | आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)
आजमगढ़ जनपद के देवगांव थाना क्षेत्र में 17 वर्षीय किशोर की संदिग्ध मौत ने पूरे इलाके को हिला दिया है। मृतक अनमोल चौहान को मूर्ति विसर्जन के बहाने बुलाया गया, और कुछ घंटे बाद उसकी सड़क हादसे में मौत हो गई। परिवार का दावा है कि यह एक सोची-समझी साजिश थी, जबकि पुलिस मामले को साधारण दुर्घटना मान रही है।
फोन आया और अनमोल निकल गया… फिर नहीं लौटा
यह मामला 2 अक्टूबर 2025 का है। ग्राम आजमगढ़ निवासी मिथिला देवी पत्नी हीरालाल ने बताया कि शाम साढ़े चार बजे उनके पोते अनमोल चौहान पुत्र महावीर चौहान को सूरज पुत्र प्रदीप सिंह का फोन आया। फोन पर सूरज ने कहा — “आओगे तो बात बताऊंगा।” उस वक्त अनमोल घर की छत पर था। कुछ देर बाद वह साइकिल लेकर घर से निकल गया, और फिर कभी वापस नहीं लौटा।
शाम साढ़े सात बजे सूचना मिली कि अनमोल का एक्सीडेंट हो गया है। उसे लालगंज टिकटघर अस्पताल ले जाया गया, जहां से वाराणसी रेफर कर दिया गया। लेकिन रास्ते में चोलापुर के पास ही उसने दम तोड़ दिया।
परिवार बोला — “सूरज ने बुलाया, फिर मोबाइल बंद कर लिया”
परिजनों का कहना है कि यह कोई सामान्य हादसा नहीं था। सूरज ने बहाने से बुलाया और कुछ देर बाद वही मौत की खबर आई। जब परिवार ने उससे सवाल किया, तो उसने अनाप-शनाप बातें कीं और फोन बंद कर दिया।
मृतक के पिता महावीर चौहान उस दिन घर पर थे, क्योंकि उसी दिन उनका बंदर के काटने का ऑपरेशन हुआ था। परिवार पहले से परेशान था, इसी बीच यह हादसा हो गया।
घर से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर हुआ हादसा
अनमोल का एक्सीडेंट घर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर हुआ, लेकिन परिजनों का कहना है कि न पुलिस मौके पर पहुंची, न ही स्थानीय लोगों ने समय पर सूचना दी।
दादी मिथिला देवी बताती हैं —
“हमें तो रात में पता चला कि अनमोल अब नहीं रहा। पुलिस वाले आज तक नहीं आए, न कोई जांच हुई।”
पुलिस ने कहा — “पोस्टमार्टम रिपोर्ट लाओ”, परिवार बोला — “अब एक महीना बीत गया”
परिवार का आरोप है कि जब उन्होंने थाने जाकर शिकायत की, तो पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट मांगी। परिजनों ने कहा कि अब एक महीना बीत चुका है, ऐसे में पोस्टमार्टम कराना संभव नहीं।
दादी मिथिला देवी ने कहा —
“पुलिस बोलती है पोस्टमार्टम लेकर आओ, लेकिन अब शव को एक महीना हो गया… क्या अब उसे कब्र से निकालेंगे?”
गरीब मजदूर परिवार दर-दर भटक रहा
महावीर चौहान मजदूरी करते हैं और ईदगाह भट्ठे पर घर बनाने का काम करते हैं। उनकी पत्नी निशा चौहान का रो-रोकर बुरा हाल है।
घर में अब केवल 8 वर्षीय अंश चौहान है, जो हर रोज पूछता है — “भैया कब आएंगे?”
निशा चौहान कहती हैं —
“मेरा बेटा खुद अपने पैरों पर घर से गया था, अब लाश बनकर आया। हमें अब तक इंसाफ नहीं मिला। पुलिस सिर्फ टाल रही है।”
ग्रामीण बोले — “साजिश है, हादसा नहीं”
गांव के लोगों का कहना है कि अनमोल शांत और पढ़ाई में तेज लड़का था, जो किसी से झगड़ा नहीं करता था।
ग्रामीणों के मुताबिक, यह एक साजिश के तहत रचा गया षड्यंत्र है।
“सूरज ने फोन किया, बुलाया और फिर वही हादसे की खबर आई — यह संयोग नहीं हो सकता।”
पुलिस हादसा बता रही, परिवार कह रहा ‘हत्या’
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह सड़क दुर्घटना का मामला लग रहा है।
देवगांव थाना प्रभारी ने बताया कि “परिजनों की तहरीर मिली है, जांच की जा रही है।”
लेकिन परिजनों का कहना है कि पुलिस साजिश को छिपा रही है और मामले को एक्सीडेंट का रूप दे रही है।
“हमें सिर्फ इंसाफ चाहिए”
दादी मिथिला देवी की आंखों में आंसू हैं। वे कहती हैं —
“हम गरीब हैं, पर हमारा दर्द सच्चा है। हमारा अनमोल हमें वापस नहीं मिलेगा, लेकिन उसकी मौत की सच्चाई सामने आनी चाहिए।”
अब गांव में हर कोई यही पूछ रहा है —
क्या यह सच में एक हादसा था, या फिर अनमोल की हत्या को सड़क दुर्घटना बताकर दबा दिया गया?
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