झुग्गियों में बीत रही जिंदगी, सरकारी योजनाएं रह गईं कागज़ों तक
इंदौर, मध्यप्रदेश | संवाददाता रिपोर्ट
इंदौर शहर के गांधीनगर क्षेत्र, वार्ड क्रमांक 15 और 16 में दर्जनों गरीब परिवार वर्षों से आवास के अभाव में खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजार रहे हैं। ये परिवार आज भी पक्के मकान के सपने को हकीकत में बदलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने इन्हें बेघर कर दिया है।
“रहने को छत नहीं, बच्चे बारिश में भीगते हैं”
स्थानीय निवासी हिना पति मनोज, लक्ष्मी पति दीपक, काला बाई, रविना पत्नी सुखराम, सविता पति प्रकाश, ममता पत्नी विषय, मंजू पत्नी आयभागवली, कृष्णा सोनकू, घनश्याम अपय परमार, बिनोद पटेल, मनोज उर्फ बबली, समेत 20 से अधिक परिवारों ने प्रशासन से बार-बार गुहार लगाई है कि उन्हें “प्रधानमंत्री आवास योजना” या “नगर निगम आवास योजना” के अंतर्गत रहने की जमीन या मकान आवंटित किया जाए, पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
“गरीबों की सुनवाई नहीं, सिर्फ वादे”
इन परिवारों ने बताया कि उन्होंने कई बार कलेक्टर कार्यालय, नगर निगम और जनसुनवाई में आवेदन दिया, जिसमें उल्लेख किया गया कि –
“हम सब मजदूरी कर परिवार चला रहे हैं। किराए पर रहना भी अब मुश्किल हो गया है। सरकार गरीबों को मकान देने की बात करती है, लेकिन हमें सिर्फ भरोसे के सिवा कुछ नहीं मिला।”
वार्ड 16 में स्थिति और भी दयनीय
वार्ड क्र. 16 के धनश्याम सोनकी, अंशु परमार, गुरदीबाई, भूरी सुभाष, कलावती, ममता सुभाष, सुप्रिया ममता जैसे परिवारों का कहना है कि उनके पास रहने की कोई भूमि नहीं है, जबकि कई बार निगम अधिकारियों को स्थायी आवास हेतु आवेदन भी किया गया।
> “हम हर साल चुनाव के समय वादे सुनते हैं कि घर मिलेगा, पर चुनाव खत्म होते ही सब भूल जाते हैं।” — अंशु परमार, स्थानीय निवासी
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया है कि आवास योजना का लाभ आखिर किन तक पहुंच रहा है?
गांधीनगर क्षेत्र में वर्षों से गरीब परिवार झुग्गियों में रह रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक आंकड़ों में यह क्षेत्र “आवास पूर्ण” दिखाया जा रहा है।
“जब गरीबों को जमीन ही नहीं दी जाएगी तो योजनाएं किसके लिए बनी हैं?” — सामाजिक कार्यकर्ता बिनोद पटेल
गरीबों की मांग — “हमारा भी हक़ है रहने का”
परिवारों ने मांग की है कि इंदौर कलेक्टर और नगर निगम प्रशासन जल्द से जल्द इन वंचित परिवारों को
आवास हेतु जमीन का आवंटन करे,
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सुनिश्चित करे,
और बेघर परिवारों के लिए तात्कालिक राहत शिविर या किराया सहायता योजना प्रारंभ करे।
अब जनता की निगाहें प्रशासन पर
अब देखना यह है कि क्या कलेक्टर कार्यालय और नगर निगम इंदौर इन गरीब परिवारों की आवाज़ सुनेंगे,
या फिर यह आवेदन भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
“हम गरीब हैं, लेकिन इंसान हैं। हमें भी छत चाहिए।”
— लक्ष्मी पति दीपक, वार्ड 15 निवासी
संपर्क सूत्र: वार्ड क्र. 16, क्रमांक/503, इंदौर (म.प्र.)
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