पटना।
राजधानी पटना के दिदारगंज थाना क्षेत्र में जमीन जालसाजी का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। ग्राम कोठिया निवासी सोहनराय सिंह ने अपने ही गांव के रहने वाले मुकेश सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसने उनके दिवंगत बड़े भाई गौरी सिंह का “नजायज औलाद (लड़का)” बनकर उनकी पुश्तैनी जमीन को फर्जी तरीके से बेच दिया। इस पूरे मामले में पीड़ित ने अंचलाधिकारी पटना सदर, पुलिस अधीक्षक फतुहा और निबंधक पटना सिटी समेत तीनों जगह आवेदन दिए, लेकिन अब तक किसी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पीड़ित का कहना है कि वह पिछले कई महीनों से प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर काट रहा है, परंतु अधिकारियों की ओर से कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मामला अब न्यायालय में विचाराधीन है।
मृत बड़े भाई का नाम लेकर की जालसाजी
पीड़ित सोहनराय सिंह (उम्र 40 वर्ष, पिता स्वर्गीय मुंशी सिंह, निवासी – ग्राम कोठिया, थाना दिदारगंज, जिला पटना) के अनुसार, उनके पिता मुंशी सिंह के नाम से मौजा नासिरपुर ताजपुर, थाना नंबर 50, खाता नंबर 245, प्लॉट नंबर 447 में कुल 1 बीघा 3 कट्ठा 10 धुर जमीन दर्ज है।
दिनांक 31 जुलाई 2025 को मुकेश सिंह, जो कि वर्तमान में मोहल्ला शिवपढ़ अम्बेडकर नगर, थाना टाउन सिवान जिला सिवान का रहने वाला है, ने उसी जमीन में से 2 कट्ठा (लगभग 820 वर्गफीट) जमीन को श्रीमती सरिता देवी, पत्नी सत्येंद्र कुमार, निवासी जेठुली, थाना फतुहा, जिला पटना के नाम पर विक्रय कर दिया।
सोहनराय का आरोप है कि इस विक्रय पत्र (सेल डीड संख्या 3443) में मुकेश सिंह ने खुद को उनके बड़े भाई गौरी सिंह का “नजायज औलाद” बताया, जबकि सच्चाई यह है कि गौरी सिंह की कोई संतान नहीं थी और उनकी मृत्यु वर्ष 2007 में हो गई थी। इस तरह मुकेश सिंह ने एक मृत व्यक्ति का वारिस बनकर जमीन की बिक्री कर दी।
पीड़ित ने कहा – जाली दस्तावेज के आधार पर जमीन हड़पी गई
सोहनराय सिंह का कहना है कि उन्होंने विक्रय पत्र की प्रति निकलवाई तो यह देखकर स्तब्ध रह गए कि मुकेश सिंह ने जाली, मनगढ़ंत और फर्जी दस्तावेज बनवाकर बिक्री की है। उनके अनुसार,
“गौरी सिंह निःसंतान थे। उनकी मृत्यु 18 जून 2007 को नाबालिग अवस्था में ही हो गई थी। उनके नाम की जमीन की देखरेख मैं करता रहा। लेकिन मुकेश सिंह ने खुद को उनका बेटा बताकर जमीन को किसी और को बेच दिया। यह धोखाधड़ी है, जिससे मेरे पूरे परिवार को नुकसान हुआ है।”
तीन स्तर पर दिए आवेदन, फिर भी प्रशासन मौन
घटना के बाद सोहनराय सिंह ने अलग-अलग विभागों में आवेदन दिए हैं:
पहला, अंचलाधिकारी पटना सदर को दिया गया आवेदन, जिसमें विक्रय पत्र संख्या 3443 के आधार पर दाखिल-खारिज प्रक्रिया रोकने की मांग की गई।
दूसरा, पुलिस अधीक्षक फतुहा को आवेदन देकर मुकेश सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की कार्रवाई की गुहार लगाई।
तीसरा, निबंधक पटना सिटी को प्रार्थना पत्र देकर गलत रूप से तैयार विक्रय पत्र को रद्द करने की अपील की गई।
इन सभी आवेदनों की प्रतियां दिनांक 11 अक्टूबर 2025 को संबंधित कार्यालयों में जमा की गईं, परंतु अब तक किसी भी कार्यालय से कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।
न्यायालय में मामला लंबित, पीड़ित कर रहा न्याय की प्रतीक्षा
प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई न होने के बाद सोहनराय सिंह ने सब जज प्रथम, पटना सिटी न्यायालय में सिविल वाद संख्या T.S. No-281/2025 दर्ज कराया है, जो वर्तमान में सुनवाई के लिए लंबित है।
उन्होंने कहा कि वह न्यायपालिका से उम्मीद लगाए हुए हैं कि जालसाजी का सच अदालत में उजागर होगा और दोषियों को सजा मिलेगी।
स्थानीय लोगों का आरोप – यह संगठित भूमि जालसाजी गिरोह का हिस्सा
ग्रामीणों के अनुसार, इस इलाके में पिछले कुछ वर्षों से फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमीनों की बिक्री के कई मामले सामने आ चुके हैं। लोगों का कहना है कि
“मुकेश सिंह जैसे लोग मृत व्यक्तियों के नाम पर वारिस बनकर जमीनें बेच रहे हैं। यह अकेले का काम नहीं है, बल्कि एक संगठित गिरोह सक्रिय है जो कमजोर और गरीब लोगों की जमीनों को निशाना बना रहा है।”
कानूनी रूप से गंभीर अपराध
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मृत व्यक्ति की संतान बनकर जमीन बेचने का प्रयास भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दंडनीय है। इसमें धोखाधड़ी (धारा 420), जालसाजी (धारा 467, 468), और सरकारी रिकार्ड में मिथ्या प्रविष्टि कराने (धारा 471) जैसी गंभीर धाराएं लागू होती हैं।
प्रशासन से पीड़ित की मांग
सोहनराय सिंह ने प्रशासन से निम्न मांगें की हैं –
1. विक्रय पत्र संख्या 3443 और 3449 के आधार पर दर्ज फर्जी दाखिल-खारिज प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए।
2. मुकेश सिंह और उसके सहयोगियों पर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज किया जाए।
3. पीड़ित की पुश्तैनी जमीन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
“अगर सुनवाई नहीं हुई तो खुद आंदोलन करूंगा” – सोहनराय सिंह
पीड़ित ने कहा कि यदि अब भी प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो वह जिला मुख्यालय के समक्ष धरना देने को बाध्य होंगे।
उनका कहना है –
“मेरी पुश्तैनी जमीन को छलपूर्वक हड़पा गया है। मैं पिछले कई महीनों से अधिकारियों से गुहार लगा रहा हूं, लेकिन किसी ने भी एक लाइन का जवाब नहीं दिया। अब मैं अपनी आखिरी सांस तक न्याय के लिए लड़ूंगा।”
(पटना ब्यूरो रिपोर्ट | 29 अक्टूबर 2025)
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