लखीमपुर/झारखंड
जिला लखीमपुर के रहने वाले प्रभाकर सोनी के परिवार पर इन दिनों दुखों का पहाड़ टूटा हुआ है। उनके छोटे भाई सुधाकर सोनी, जो रोज़गार की तलाश में झारखंड गए थे, अचानक रहस्यमयी तरीके से कंपनी के लोगों द्वारा बंधक बना लिए गए हैं।
परिवार का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन सुधाकर को छोड़ने के लिए ₹26,000 की मोटी रकम मांग रहा है। प्रभाकर सोनी ने मीडिया को बताया—
“मेरे भाई को झारखंड काम करने भेजा गया था, लेकिन वहां जाकर उसे धोखे से रोक लिया गया। अब कंपनी कह रही है कि ₹26,000 दो, तभी छोड़ेंगे। यह कोई काम नहीं है, बल्कि साफ तौर पर 420 ठगी और मानव तस्करी का धंधा लग रहा है।”
परिवार में मातम, पिता-पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल
प्रभाकर जी ने बताया कि घर पर सबकी हालत खराब है। माता-पिता बेटे को छोड़ाने की गुहार लगा रहे हैं और लगातार बेसुध हो रही है। गांव में भी यह खबर फैलते ही सनसनी फैल गई है। लोग इसे “मजदूरों से जबरन वसूली और बंधक प्रथा” का मामला बता रहे हैं।
अवैध वसूली का खेल या मानव तस्करी का अड्डा?
झारखंड में इस तरह के कई मामले पहले भी उजागर हो चुके हैं, जहां गरीब मजदूरों को नौकरी के नाम पर बुलाकर उनसे पैसे ऐंठे जाते हैं। परिवार को शक है कि यह भी ठग गिरोह का रैकेट है, जो भोले-भाले लोगों को फँसाकर उनसे वसूली करता है।
प्रभाकर सोनी की सरकार और प्रशासन से गुहार
प्रभाकर सोनी ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से अपील की है कि उनके भाई को जल्द से जल्द छुड़ाया जाए और इस घिनौने रैकेट का पर्दाफाश हो।
उनकी मार्मिक अपील:
“हम गरीब लोग हैं, इतनी बड़ी रकम कहां से लाएँ? सरकार और प्रशासन हमारी मदद करे, वरना मेरा भाई वहां बंधक ही रह जाएगा।”
यह मामला न सिर्फ एक परिवार का दर्द है, बल्कि यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर कैसे झारखंड जैसे राज्यों में मजदूरों को इस तरह से बंधक बनाया जा रहा है और खुलेआम फिरौती वसूली की जा रही है? क्या प्रशासन की पकड़ से बाहर हैं ये ठग कंपनियां?
अब देखने वाली बात यह होगी कि लखीमपुर प्रशासन और झारखंड पुलिस कितनी जल्द कार्रवाई करती है और सुधाकर को सकुशल मुक्त कराती है।