भोपाल (ईखबर संवाददाता): 26 जुलाई 1959 को सतना जिले के रामपुर बघेलान में जन्मे ध्रुव नारायण सिंह आज 66 वर्षीय हो गए हैं। उनकी जन्म‑भूमि ही उस राजपूताना विरासत की गूंज है जहाँ उनके पूर्वजों ने राजनीति और सामाजिक बदलाव में सशक्त योगदान दिया। उनके पिता गोविंद नारायण सिंह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, और दादा अवधेश प्रताप सिंह, विंध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री, जैसे राजनैतिक स्तम्भ थे ।
ध्रुव सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अभिजात्य वातावरण में ली और राजनीति में कदम रखने से पहले शिक्षा के क्षेत्र में गहरी रुचि दिखाई। हालांकि शैक्षणिक विवरण सीमित उपलब्ध है, उनका रुख हमेशा जनसेवा‑उन्मुख रहा।
उनकी राजनीति की पहली बड़ी उपलब्धि 2008 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली। भोपाल मध्य सीट से उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी नासिर इस्लाम को हार कर जीत दर्ज की । इस कार्य‑काल में उन्होंने विकास, स्वच्छता और स्थानीय प्रशासन पर विशेष ध्यान दिया, जिससे क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता बनी।
व्यक्तित्व और राजशाही अंदाज की छवि
ध्रुव नारायण सिंह का व्यक्तित्व शाही और करिश्माई है। उनके सार्वजनिक उपस्थिति में सहज आत्मविश्वास, भव्यता और शिष्टाचार स्पष्ट दिखाई देता है। वे भोपाल डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, जो उनके समाजिक‑क्रिकेट प्रेम को दर्शाता है ।
राजनीतिक मंचों पर उनकी वाणी सुलझी और प्रभावी होती है। हाल ही में उन्होंने कहा था:
“सर्वमान्य नेता तो गांधीजी भी नहीं थे” — यह बयान यह दिखाता है कि वे अन्य नेताओं की तरह ओहदे का मोहताज नहीं, बल्कि अपने दम पर पहचान बनाने में विश्वास रखते हैं ।
ऐसे वक्तव्यों ने उन्हें विवादास्पद बनाने के साथ-साथ समर्थकों में चर्चा का विषय भी बनाया।
उन्होंने मीडिया से कहा था कि चुनाव प्रत्याशियों को काम करने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए, यही कारण रहा कि BJP ने 2023 विधानसभा के लिए उम्मीदवारों की घोषणा पहले कर दी थी ।
प्रशिक्षण, शिक्षण एवं जनस्वास्थ्य‑सेवा
ध्रुव सिंह का राजनीतिक सफर केवल चुनाव तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने शिक्षा, खेल और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाया। क्रिकेट प्रशासन में उनकी सक्रियता और Bhopal Division Cricket Association की अध्यक्षता यह स्पष्ट करती है कि वे युवा‑प्रोत्साहन और खेल संस्कृति को मजबूत करने के इच्छुक हैं ।
सामाजिक क्षेत्रों में, उन्होंने मीडिया और पत्रकारों से संवाद से यह संकेत भी दिया कि वे केवल निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित नहीं, बल्कि व्यापक जनसंवाद व विकास चाहने वाले राजनेता हैं। उनके कार्यालय और निवास पर प्राप्त ताजा तस्वीरों से पता चलता है कि वे लगातार जनता के संपर्क में हैं ।
उनकी राजशाही विरासत उन्हें एक आदर्शवादी नेता बनाती है जो परंपरा से जुड़ा है, लेकिन आधुनिक राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेते है।
राजनीतिक सक्रियता और वर्तमान स्थिति
2008‑2013 तक विधायक रहने के बाद, ध्रुव सिंह को 2013 और 2018 में BJP ने टिकट नहीं दिया। पीछे वजह थी 2011 में शहला मसूद हत्याकांड में उनका नाम आए। जांच CBI को सौंप दी गई थी और प्रारंभिक जांच में प्रेम‑त्रिकोण की कहानी सामने आई, लेकिन बाद में CBI ने ध्रुव सिंह का नाम चार्जशीट में नहीं लिया यानी उन्हें कानूनी दृष्टि से क्लीन चिट मिली ।
इन कठिन वर्षों के बाद BJP ने 2023 के विधानसभा चुनाव में फिर से उन्हें भोपाल मध्य से उम्मीदवार बनाया, जिससे उनका राजनीतिक सितारा पुनः चमका ।
वर्तमान में वे BJP में सक्रिय हैं, एक्टिव लीडर, सोशल मीडिया एवं क्षेत्रीय गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अपने पूज्य पिता गोविंद नारायण सिंह की जयंती पर एक भावुक ट्वीट भी किया, जिसमें पिताजी की लोकसेवा और आदर्श जीवन की स्मृति ताजा की ।
66 वर्ष की आयु में ध्रुव नारायण सिंह एक प्रतिष्ठित, रॉयल परंपरा में पले‑बढ़े नेता के रूप में उभरकर आए हैं। राजनीति में संघर्ष और पुनरागमन की कहानी, उनका व्यक्तित्व, पारिवारिक विरासत और सक्रिय सामाजिक भूमिका मिलकर उन्हें भोपाल की राजनीति में एक विशिष्ट पहचान देते हैं। चाहे वे कभी विधायकी में न रहें, परंतु अभी भी पार्टी में उनकी सक्रियता, संवाद क्षमता और जनसेवा प्रेम उन्हें प्रासंगिक बनाए रखते हैं।