मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हिंदू युवती (27) और मुस्लिम युवक (29) की स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) के तहत होने वाली शादी पर रोक लगा दी है. पहले उन्हें सिंगल बेंच ने इसकी इजाजत दे दी थी. यह अधिनियम अंतर-धार्मिक विवाह से संबंधित है.
कुछ समय पहले जस्टिस विशाल धगात की सिंगल बेंच ने हिंदू महिला से कहा था कि वे सरकार द्वारा संचालित शेल्टर में जाकर मुस्लिम युवक से अपनी शादी के बारे में विचार करे और उससे कहा था कि वह 12 नवंबर तक उससे बात ना करे, जिस दिन उनकी शादी होनी थी.
दोनों ने जबलपुर में 7 अक्टूबर को जिला मिस्ट्रेट के कार्यालय में शादी के लिए आवेदन दिया था. युवती के परिवार को इसकी जानकारी तब मिली जब एडीएम ऑफिस की तरफ से उन्हें ‘नो ऑब्जेक्शन’ के लिए नोटिस दिया गया. स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों के तहत परिवार की ओऱ से ‘नो ऑब्जेक्शन’ मिलना अनिवार्य है. हालांकि इसके बाद युवती के पिता ने बेटी के लापता होनी की शिकायत थाने में कराई. बताया जा रहा है कि हिंदू संगठनों द्वारा उन्हें धमकी भी मिली थी.
कोर्ट ने युवती को सोचने का दिया था वक्त
इसके बाद इस जोड़े ने जबलपुर हाई कोर्ट का रुख किया और पुलिस से संरक्षण की मांग की. उन्होंने बताया कि वे शादी करना चाहते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे चार साल से रिश्ते में है और एक साल से लिव-इन में रह रहे हैं. सिंगल बेंच ने 22 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए युवती से कहा कि वह अपने फैसले पर विचार करे और दोनों को पुलिस का संरक्षण दिलाया.
संदेह के आधार पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
इसके बाद युवती के पिता ने आदेश को चुनौती दी और कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने का उचित मौका नहीं मिला. पिता के वकील ने कोर्ट में कहा कि युवक और युवती को जान का खतरा है, इस संबंध में कोई सबूत पेश नहीं किया गया है. संदेह होने पर हाई कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी. मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी.