जो बाइडन ने तिब्बत समाधान अधिनियम पर हस्ताक्षर किए हैं। ये अधिनियम तिब्बत के लिए अमेरिकी समर्थन को बढ़ाता है। साथ ही तिब्बत की स्थिति और शासन पर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन और दलाई लामा के बीच बातचीत को बढ़ावा देता है। चीन ने तिब्बत समाधान अधिनियम का विरोध किया था और इसे अस्थिर करने वाला एक्ट बताया था।
पीटीआई, वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत समाधान अधिनियम पर हस्ताक्षर किए हैं, जो तिब्बत के लिए अमेरिकी समर्थन को बढ़ाता है। साथ ही तिब्बत की स्थिति और शासन पर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन और दलाई लामा के बीच बातचीत को बढ़ावा देता है।
चीन ने किया था विरोध
चीन ने तिब्बत समाधान अधिनियम का विरोध किया था और इसे अस्थिर करने वाला एक्ट बताया था। यह अधिनियम पिछले फरवरी में प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित किया गया था और मई में इसे सीनेट ने मंजूरी दे दी।
बाइडन ने शुक्रवार देर रात एक बयान में कहा,
आज मैंने अधिनियम पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं तिब्बतियों के मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने और उनकी विशिष्ट भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए कांग्रेस की द्विदलीय प्रतिबद्धता को साझा करता हूं।
बाइडन ने आगे कहा कि मेरा प्रशासन चीन से दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत फिर से शुरू करने के लिए कहता रहेगा, ताकि मतभेदों को दूर किया जा सके और तिब्बत पर बातचीत के जरिए समझौता किया जा सके। 14वें दलाई लामा 1959 में तिब्बत से भारत आए थे, जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार की स्थापना की।